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खूबसूरत [लघु कथा]

शन्नो की सगी बहन मन्नु लेकिन शक्ल सूरत में जमीन आसमान का अंतर , अपने माता पिता की लाडली शन्नो इतनी सुंदर  थी मानो आसमान से कोई परी जमीन पर उतर आई हो ,बेचारी मन्नु  को अपने साधारण रंग रूप के कारण सदा अपने माता पिता की उपेक्षा का शिकार होना पड़ता था |शन्नो अपने माँ बाप के लाड और अपनी खूबसूरती के आगे किसी को कुछ समझती ही नही थी |एक दिन दुर्भाग्यवश उनकी माँ  बहुत बीमार पड़ गई ,सारा दिन बिस्तर पर ही लेटी रहती थी ,मन्नु ने अपनी माँ की सेवा के साथ साथ घर का बोझ भी अपने कंधों पर ले लिया ,उसकी नकचढ़ी बहन किसी भी काम में उसका हाथ नही बंटाती थी |धीरे धीरे मन्नु की मेहनत रंग ले आई और उसकी माँ के स्वास्थ्य में सुधार होना शुरू हो गया,अपनी बेटी को  इतना काम करते देख उसके माँ बाप की आँखों में आंसू आ गये ,उन्होंने उसे गले लगा लिया ,वह जान चुके थे असली खूबसूरती तो मन की होती है |

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Comment by Rekha Joshi on August 5, 2012 at 12:25pm

आदरणीय अशोक जी ,प्रोत्साहन के  लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद 

Comment by Ashok Kumar Raktale on August 4, 2012 at 10:58pm

रेखा जी

        सादर, सच है मन कि खूबसूरती ही स्थायी है. सुन्दर लघु कथा. बधाई.

Comment by Rekha Joshi on August 4, 2012 at 8:46pm

धन्यवाद आदरणीय सौरभ जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 4, 2012 at 1:55pm

वाह !

Comment by Rekha Joshi on August 4, 2012 at 1:37pm

आदरणीय सुरेन्द्र जी ,प्रोत्साहन हेतु आपका बहुत बहुत धन्यवाद 

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on August 3, 2012 at 11:51pm

आदरणीया रेखा जी  ..बहुत प्यारे भाव लिए सुन्दर सन्देश देती ये लघु कथा ..सच में बाह्य दिखावा रंग रूप किस काम का जब कोई किसी के काम न आ सके अंतर स्वच्छ तो होना ही चाहिए .....

भ्रमर ५ 
Comment by Rekha Joshi on August 1, 2012 at 5:35pm

अरुण बेटा ,आपका बहुत बहुत धन्यवाद 

Comment by अरुन 'अनन्त' on August 1, 2012 at 12:06pm

बहुत ही सुन्दर लघु कथा रेखा माँ, हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिये........

Comment by Rekha Joshi on August 1, 2012 at 11:59am

आपकी बधाई स्वीकार की ,आदरणीया डा प्राची जी ,आभार 

Comment by Rekha Joshi on August 1, 2012 at 11:57am

आपका बहुत  बहुत धन्यवाद ,अलबेला जी ,आभार 

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