For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गौतम की प्रतीक्षा ?

कुछ तितलियाँ

फूलों की तलहटी में तैरती

कपड़े की गुथी गुड़ियाँ

कपास की धुनी बर्फ

उड़ते बिनौले

और पीछे भागता बचपन

मिट्टी की सौंध में रमी लाल बीर बहूटियाँ

मेमनों के गले में झूलते हाथ

नदी की छार से बीन-बीन कर गीतों को उछालता सरल नेह

सूखे पत्तों की खड़-खड़ में

अचानक बसंत की लुका-छिपी

और फिर बसंत -सा ही बड़ा हो जाना -

तब दीखना चारों ओर लगी कंटीली बाड़ का

कई अवसादों का निवेश

परित्यक्त देहर पर उलझे बंदनवार

और माँ की देह से चिपकी अहिल्या

पत्थर -सी चमकती आँखों में

एक पथ खोजती ..

कठफोड़वे की तरह टुकटुक करती

पीड़ा की सुधियों को फोड़ रही है

काष्ठ के कोटर -सी

माँ , राम मिलेगा तो सौंप दूंगी तुझे

पर गौतम की प्रतीक्षा ?

Views: 549

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Aparna Bhatnagar on October 16, 2010 at 5:28pm
Thanks vikas ji ...
Comment by vikas rana janumanu 'fikr' on October 9, 2010 at 1:48pm
kamaal hai ji, kamaal ..........

ek ek misraa .... jaise pathhar pe lakeer. ek dam kore-kunware lafz
poori ahtiyaat bartne ki

कुछ तितलियाँ

फूलों की तलहटी में तैरती

कपड़े की गुथी गुड़ियाँ

कपास की धुनी बर्फ

उड़ते बिनौले

और पीछे भागता बचपन

bahut hi sudnar, aur sahi ... khaakaa kheencha hai aapne



सूखे पत्तों की खड़-खड़ में

अचानक बसंत की लुका-छिपी

और फिर बसंत -सा ही बड़ा हो जाना -

तब दीखना चारों ओर लगी कंटीली बाड़ का

कई अवसादों का निवेश

gaoN ki yaad dilaa di aapne.. oe panchi kakshaa ka din tha , jo yaad aayaa .
behad achaa sa laga
aankh bheegi, honth thame se haiN abhi....


और माँ की देह से चिपकी अहिल्या

awesome . out of world ..... kyaa khyaal hai .... umdaaa
पत्थर -सी चमकती आँखों में

beauty . with pain
एक पथ खोजती ..

कठफोड़वे की तरह टुकटुक करती

पीड़ा की सुधियों को फोड़ रही है

काष्ठ के कोटर -सी

माँ , राम मिलेगा तो सौंप दूंगी तुझे

the second one ........... maien abhi tak aapka nam nahi padha hai, jo aap jo bhi hai ... kamaal hai .....
jabardast .........
koe agar hindi mai likhne ki haami bharta hai, to use aapko padhna hi chahiye
out of world ..
पर गौतम की प्रतीक्षा ?

ek faraaz shahab ka sher yaad aaya

jo bhi bichde hai kab mile haiN 'faraz'
fir bhi tu intzaar kar shayad .... :)

aap ba-kamaal likhti hai ...... aur sabse badi baat, aapke khayala apke shabdkosh , aur jo aapki yaaden haiN, behad khoobsurat hai.....

aapne jo likhaa maien dekha hai , jiyaa hai, par miti pad gayee hai

aapke paas sab kuch , sambhlaa huaa hai
aapk kismatw ali hai

aur hum bhi jo aapka likha pdh rahe haiN, aur padhenge

dua go

Fikr
Comment by Aparna Bhatnagar on October 7, 2010 at 12:00pm
Thanks! Rakesh ji..
Comment by Aparna Bhatnagar on October 5, 2010 at 2:58pm
Pooja ji Thanks!
Comment by Aparna Bhatnagar on October 5, 2010 at 2:57pm
Thanks a lot! Navin ji..
Comment by Pooja Singh on October 5, 2010 at 12:12pm
" एक पथ खोजती ..
कठफोड़वे की तरह टुकटुक करती
पीड़ा की सुधियों को फोड़ रही है
काष्ठ के कोटर -सी " बेहतरीन अभिव्यक्ति है |
Comment by Aparna Bhatnagar on October 5, 2010 at 10:34am
Thanks! Ganesh ji

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 5, 2010 at 10:01am
अचानक बसंत की लुका-छिपी
और फिर बसंत -सा ही बड़ा हो जाना -
तब दीखना चारों ओर लगी कंटीली बाड़ का

बहुत ही सुंदर रचना, शानदार अभिव्यक्ति,
Comment by Aparna Bhatnagar on October 4, 2010 at 9:41pm
धन्यवाद ! सर ... आप सभी के प्रोत्साहन से कलम सुधार की ओर अग्रसर होगी ..
Comment by sanjiv verma 'salil' on October 4, 2010 at 9:04pm
वाह... वाह... बहुत अच्छी रचना. प्रतीकों के माध्यम से अपनी बात कहने में सफल हैं आप.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

रामबली गुप्ता commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आहा क्या कहने। बहुत ही सुंदर ग़ज़ल हुई है आदरणीय। हार्दिक बधाई स्वीकारें।"
yesterday
Samar kabeer commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"जनाब सौरभ पाण्डेय जी आदाब, बहुत समय बाद आपकी ग़ज़ल ओबीओ पर पढ़ने को मिली, बहुत च्छी ग़ज़ल कही आपने, इस…"
Saturday
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

किसी के दिल में रहा पर किसी के घर में रहा (ग़ज़ल)

बह्र: 1212 1122 1212 22किसी के दिल में रहा पर किसी के घर में रहातमाम उम्र मैं तन्हा इसी सफ़र में…See More
Friday
सालिक गणवीर posted a blog post

ग़ज़ल ..और कितना बता दे टालूँ मैं...

२१२२-१२१२-२२/११२ और कितना बता दे टालूँ मैं क्यों न तुमको गले लगा लूँ मैं (१)छोड़ते ही नहीं ये ग़म…See More
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115
"चल मुसाफ़िर तोहफ़ों की ओर (लघुकथा) : इंसानों की आधुनिक दुनिया से डरी हुई प्रकृति की दुनिया के शासक…"
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115
"सादर नमस्कार। विषयांतर्गत बहुत बढ़िया सकारात्मक विचारोत्तेजक और प्रेरक रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115
"आदाब। बेहतरीन सकारात्मक संदेश वाहक लघु लघुकथा से आयोजन का शुभारंभ करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन…"
Thursday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115
"रोशनी की दस्तक - लघुकथा - "अम्मा, देखो दरवाजे पर कोई नेताजी आपको आवाज लगा रहे…"
Thursday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115
"अंतिम दीया रात गए अँधेरे ने टिमटिमाते दीये से कहा,'अब तो मान जा।आ मेरे आगोश…"
Thursday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115
"स्वागतम"
Oct 30

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ

212 212 212 212  इस तमस में सँभलना है हर हाल में  दीप के भाव जलना है हर हाल में   हर अँधेरा निपट…See More
Oct 29
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-172
"//आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी जी, जितना ज़ोर आप इस बेकार की बहस और कुतर्क करने…"
Oct 26

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service