For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

वो बच्चा
बीनता कचरा
कूड़े के ढेर से
लादे पीठ पर बोरी;
फटी निकर में
बदन उघारे,
सूखे-भूरे बाल
बेतरतीब,
रुखी त्वचा
सनी धूल-मिटटी से,
पतली उँगलियाँ
निकला पेट;
भिनभिनाती मक्खियाँ
घूमते आवारा कुत्ते
सबके बीच
मशगूल अपने काम में,
कोई घृणा नहीं
कोई उद्वेग नहीं
चित्त शांत
निर्विचार, स्थिर;
कदाचित
मान लिया खुद को भी
उसी का एक हिस्सा
रोज का किस्सा,
चीजें अपने मतलब की
डाल बोरी में
चल पड़ता है
आगे,
अपने नित्य के
अनजाने या फिर
अंतहीन सफ़र पर,
शायद
कल फिर आना हो
चुनने
कुछ छूटे टुकड़े
जिंदगी के|

Views: 712

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on July 11, 2012 at 10:59am
आदरणीया सवि जी, वैचारिक समर्थन के लिए आपका धन्यवाद। सही कहा आपने कि न जाने कितने ऐसे दृश्यों को हम देख के भी अनदेखा कर देते हैं।
Comment by savi on July 10, 2012 at 6:01pm

कुमार गौरव जी,

रचना देर से पढ़ी इसलिए देर से ही आपसे मुखातिब हूँ | आपको समाज के ऐसे वर्ग की पीड़ा बयाँ करने के लिए हार्दिक बधाई | जिन्हें हम रोज देखते हैं पर उन पर ध्यान नहीं देते|
Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on July 9, 2012 at 9:44am
प्रिय आशीष जी, आपका हार्दिक आभार। गरीबी एक ऐसी चीज है जो मनुष्य को न जाने क्या-क्या बना देती है। एक तरफ हमारा देश आगे जा रहा है और दूसरी तरफ पीछे...
Comment by आशीष यादव on July 9, 2012 at 1:23am

आदरणीय सर, बहुत ही मार्मिक रचना।
दिल मे बहुत गहरे तक उतर जाती है।
शायद
कल फिर आना हो
चुनने
कुछ छूटे टुकड़े
जिंदगी के|
एक आह सी निकल जाती हे।

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on July 4, 2012 at 6:10pm
योगी जी
सादर नमस्कार।
जो हालत देश की है उसमें कुछ सुधरने की आशा करना तो निरर्थक ही लगता है, हाँ, निजी इच्छाशक्ति बहुत कुछ करा सकती है।
Comment by Yogi Saraswat on July 4, 2012 at 2:37pm

चीजें अपने मतलब की
डाल बोरी में
चल पड़ता है
आगे,
अपने नित्य के
अनजाने या फिर
अंतहीन सफ़र पर,
शायद
कल फिर आना हो
चुनने
कुछ छूटे टुकड़े
जिंदगी के|

श्री कुमार गौरव जी , जिंदगी की हकीकत को बहुत सटीक शब्दों में व्यक्त किया है आपने ! क्या यही इनकी नियति है या कुछ बदल सकता है ?

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on July 3, 2012 at 11:10pm
आदरणीय लक्ष्मण सर, आपने मेरी कविता को पसंद किया, आपका हार्दिक आभार।
Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 3, 2012 at 11:33am

वो बच्चा सच्चा रुखी त्वचा, नियमित करता सफ़र नहीं उसको कोई खबर | परिस्थितियों का मार्मिक चित्रण के लिए बधाई 

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on July 2, 2012 at 11:20pm

आदरणीय सुरेन्द्र शुक्ल जी, सराहना के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद| एक तरफ यहाँ के कुछ लोग दुनिया के टॉप टेन अमीरों की सूची में आते हैं तो दूसरी तरफ कुछ के पास अपना और अपने परिवार का पेट पालने के भी पैसे नहीं होते....दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में "लोक" की ऐसी दुर्दशा बड़े आश्चर्य की बात है....

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on July 2, 2012 at 11:12pm

आदरणीय सौरभ पाण्डेय सर, सर्वप्रथम तो सराहना के लिए आपका हार्दिक आभारी हूँ......निर्धनता एक ऐसी बीमारी है जो मनुष्य को विचित्र मानसिक अंतर्द्वंदों में डाल देती है.......कभी वो उससे लड़ने की कोशिश करता है तो कभी बिना लड़े ही हार जाता है....लेकिन इतना तो तय है कि निर्धन मनुष्य अपने मन को इतना गिरा लेता है कि उसे किसी भी चीज से नाक-भौं सिकोड़ते नहीं देखा जाता| गन्दी से गन्दी जगह पर सोना, कुछ भी खा लेना ये सब उसकी रोज की आदतें हो जातीं हैं......

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"रजाई को सौड़ कहाँ, अर्थात, किस क्षेत्र में, बोला जाता है ? "
23 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
23 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय  सौड़ का अर्थ मुख्यतः रजाई लिया जाता है श्रीमान "
23 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"हृदयतल से आभार आदरणीय 🙏"
23 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय…"
Wednesday
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
Tuesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service