For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

यह शादी बे मेल हो गई बाबाजी

कितनी महंगी रेल हो गई बाबाजी
पैसेन्जर भी मेल हो गई बाबाजी

आदर्शों को फांसी  दे दी दिल्ली ने
नैतिकता  को जेल हो गई बाबाजी

सुख के बादल बिखर गये हैं बिन बरसे
दुःख की धक्कमपेल हो गई बाबाजी

नकल हो रही पास आज विद्यालय में
और पढ़ाई फेल हो गई बाबाजी

आई पी एल की हाट में हमने देखा है
खिलाड़ियों  की सेल हो गई बाबाजी

खादी वाले खड़े - खड़े खा जाते हैं
भोली जनता भेल हो गई बाबाजी

लोकराज ने लज्जा का परित्याग किया
यह शादी बे मेल हो गई बाबाजी

'अलबेला' की दोनों आँखों से देखो
राजनीति विषबेल हो गई बाबाजी

Views: 1035

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by savi on July 1, 2012 at 10:16am

आदरणीय अलबेला जी,

बहुत खूब लिखते हैं आप| 
"सबकी चिंता जिसे रहती है,
वो है अलबेला एक बाबाजी|
अब तक जितना पढ़ पाई आपको
आप हैं सबसे अलग बाबाजी|
व्यंग्य में कह जाते हैं बात बड़ी 
समाज को दर्पण दिखाते बाबाजी|"
Comment by Albela Khatri on June 27, 2012 at 9:39pm

बहुत बहुत धन्यवाद राज़ साहेब
____आभार

Comment by राज़ नवादवी on June 27, 2012 at 9:28pm

'राजनीति विषबेल हो गई बाबाजी'- बहुत उम्दा जुमला है. - राज़ 

Comment by Albela Khatri on June 26, 2012 at 11:15pm

आदरणीय आप शीघ्र अति शीघ्र  स्वस्थ, पूर्ण स्वस्थ हो जाएँ...आराम करें...फिर मिलेंगे बड़े ख़ुलूस के साथ...
____हार्दिक शुभकामनायें  मेरे पूरे परिवार की ओर से.........
____आप जल्द लौटें..........

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 26, 2012 at 10:58pm

आदरणीय अलबेला जी, सादर अभिवादन.

आपकी गतिविधि मोबाइल पर मिल  रही है. आपसे दूरी खाल रही है लगा रहा हूँ कई दिनों से पी.जी.आई के चक्कर डाक्टरों को दिल गुर्दे की दूरी मिल नहीं रही है , ठीक होते हि जमेगी महफ़िल अगर आप बंदे को समझते हैं अपने काबिल . स्नेह हेतु आभार 

Comment by Albela Khatri on June 26, 2012 at 10:45pm

आदरणीय प्रदीप जी......कहाँ थे अब तक
बहुत विलम्ब से आये........
प्रतीक्षा  कर रहा था मैं आपके  कमेन्ट की.........

___आपकी  टिप्पणी सर आँखों पर जनाब !

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 26, 2012 at 10:38pm

हे बाबू मोशाय तू इतना सब कस जानेला मुबारकां  स्वीकार कीजिये न 

Comment by Albela Khatri on June 26, 2012 at 10:35pm

बहुत ख़ूब अरुण जी.........
चलो अपन पार्टनरशिप में  दुकान खोल लेते हैं कविताओं की..........हा हा हा हा

___बहुत अच्छी पंक्तियाँ कही आपने भाईजी..........बधाई !


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on June 26, 2012 at 9:53pm

आदरणीय अलबेला जी, तीखे-तीखे अचूक बाण चलाये हैं.

आदर्शों को फाँसी दे दी दिल्ली ने

नैतिकता को जेल हो गई बाबाजी ||

वाह !!!!!! तारीफ के लिये शब्द ही नहीं हैं.

प्रेरणा पाकर कुछ पंक्तियाँ लिखने का प्रयास किया है, सादर समर्पित हैं :-

दिल के एक्वेरियम में हमने पाला था

इच्छायें अब व्हेल हो गई  प्राणप्रिये |

दुआ रखा थी हमने शीश छुछूंदर के

दुआ चमेली - तेल हो गई प्राणप्रिये |

लम्बी काली नागिन सी लहराती थी

कट कर पोनी टेल हो गई प्राणप्रिये |

जाने कितने खत लिख लिख के फाड़े हैं

और आप ई-मेल हो गई प्राणप्रिये |

Comment by Albela Khatri on June 26, 2012 at 8:52pm

शुभ संध्या  बन्धुवर अम्बरीश जी अतीव शुभ संध्या  !

___अब रात भी हसीन हो जाये, इसकी जुगत भिड़ानी है ...हा हा हा हा

__आज आपसे लम्बी वार्ता करके  बड़ा आनन्द आया ...वही आनन्द  आया जो स्वर्गीय  बलराज साहनी को सिगरेट के पहले सुट्टे में आता था .....किसी को सन्देह हो तो जा कर उनसे पूछ सकता है  ...हा हा हा

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी's blog post was featured

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
Tuesday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . .तकदीर

दोहा सप्तक. . . . . तकदीर  होती है हर हाथ में, किस्मत भरी लकीर ।उसकी रहमत के बिना, कब बदले तकदीर…See More
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ छियासठवाँ आयोजन है।.…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय  चेतन प्रकाश भाई  आपका हार्दिक आभार "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय बड़े भाई  आपका हार्दिक आभार "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आभार आपका  आदरणीय  सुशील भाई "
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service