For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कुछ मुक्तक {मुक्तक काव्य "कमला "}

मुक्तक काव्य "कमला "

मन वीणा को झंकृत करती, मीठा स्पंदन हो कमला
छंदों में रस वर्षा करती, रस अभिवंदन हो कमला
निर्झर की पावन झर झर तुम, हंसती हो सरगम जैसा
साधक है खुद स्वर तेरे तो, तुम स्वर गुंजन हो कमला

तन मलयागिर का चन्दन सा, मुखड़ा कुंदन है कमला
आँखें गहरी सागर जैसी, सुख अभिनन्दन है कमला
केशों में केशव बसते हैं, अधरों में है सुर देवी
जो देखे वो नतमस्तक हो , करता वंदन है कमला

हिरनी के जैसे चंचल है, बिजली सी चमके कमला
चंदा जिससे सकुचाता है, सूरज सी दमके कमला
मोती की दुति कम लगती है, हीरा फीका लगता है
सपने में जब जब आती है , प्रिय मेरी बनके कमला

मोहन की मुरली मीठी सी, कोयल का कलरव है कमला
शारद की वीणा से गुंजित, मृदु स्वर है नवरव है कमला
वाणी से नित रस बहता है, मोहित जो तन मन करता है
स्वर साधक की सुर सरिता का, आवश्यक अवयव है कमला

संदीप पटेल "दीप"

Views: 708

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on June 27, 2012 at 10:05am

आप सभी आदरणीय स्नेही जनों का ह्रदय से धन्यवाद और आभार
समयाभाव की चलते मैं सभी को प्रथक प्रथक प्रतिक्रया नहीं दे पा रहा हूँ

Comment by UMASHANKER MISHRA on June 25, 2012 at 11:56pm

संदीप जी बेहेतरिन रचना है

मन वीणा को झंकृत करती, मीठा स्पंदन हो कमला
छंदों में रस वर्षा करती, रस अभिवंदन हो कमला
निर्झर की पावन झर झर तुम, हंसती हो सरगम जैसा
साधक है खुद स्वर तेरे तो, तुम स्वर गुंजन हो कमला

कोई कुछ भी समझे मुझे यह किसी पूजा अर्चना से कम नहीं लगी

बधाई संदीप भाई

Comment by Rekha Joshi on June 25, 2012 at 3:11pm

संदीप जी ,

हिरनी के जैसे चंचल है, बिजली सी चमके कमला
चंदा जिससे सकुचाता है, सूरज सी दमके कमला
मोती की दुति कम लगती है, हीरा फीका लगता है
सपने में जब जब आती है , प्रिय मेरी बनके कमला अति सुंदर अभिव्यक्ति ,बधाई 
Comment by Albela Khatri on June 25, 2012 at 10:43am

क्या बात है  संदीप पटेल 'दीप' जी.........
सबसे पहले  तो आपको  प्रतियोगिता में विजयी होने की  बधाई !
आपके मुक्तक   बांच कर आनंद आ गया
___अनेकानेक  बधाइयाँ


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on June 24, 2012 at 10:12pm

अद्वितीय सौंदर्य वर्णन.संदीप जी आपकी रचना ने मंत्र मुग्ध कर दिया.

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 24, 2012 at 1:45pm

आदरणीय संदीप जी, सादर 

डूब गया सागर में निकलूँ तो गीत गाऊं कमला 

कितना सुह्दर सृजन तेरा क्या बतलाऊं कमला 

बधाई,

Comment by आशीष यादव on June 24, 2012 at 1:07pm

waah, behatrin rachna. shayad kisi khas ke liye lagti hai...

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Gurpreet Singh jammu replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"मुशायरे की अच्छी शुरुआत करने के लिए बहुत बधाई आदरणीय जयहिंद रामपुरी जी। बदलना ज़िन्दगी की है…"
29 seconds ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" जी, पोस्ट पर आने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"पगों  के  कंटकों  से  याद  आयासफर कब मंजिलों से याद आया।१।*हमें …"
4 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय नीलेश जी सादर अभिवादन आपका बहुत शुक्रिया आपने वक़्त निकाला मतला   उड़ने की ख़्वाहिशों…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"उन्हें जो आँधियों से याद आया मुझे वो शोरिशों से याद आया अभी ज़िंदा हैं मेरी हसरतें भी तुम्हारी…"
5 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. शिज्जू भाई,,, मुझे तो स्कॉच और भजिये याद आए... बाकी सब मिथ्याचार है. 😁😁😁😁😁"
7 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"तुम्हें अठखेलियों से याद आया मुझे कुछ तितलियों से याद आया  टपकने जा रही है छत वो…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय दयाराम जी मुशायरे में सहभागिता के लिए हार्दिक बधाई आपको"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय निलेश नूर जीआपको बारिशों से जाने क्या-क्या याद आ गया। चाय, काग़ज़ की कश्ती, बदन की कसमसाहट…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, मुशायरे के आग़ाज़ के लिए हार्दिक बधाई, शेष आदरणीय नीलेश 'नूर'…"
7 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"ग़ज़ल — 1222 1222 122 मुझे वो झुग्गियों से याद आयाउसे कुछ आँधियों से याद आया बहुत कमजोर…"
8 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"अभी समर सर द्वारा व्हाट्स एप पर संज्ञान में लाया गया कि अहद की मात्रा 21 होती है अत: उस मिसरे को…"
8 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service