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टूट गया है क्या वह सांचा बाबाजी

कितना झूठा, कितना साचा बाबाजी
हमने सब का  चेहरा बांचा बाबाजी

अग्निपथ टू  देख के दर्शक चौंक उठे
विजय से ज़्यादा हॉट है कांचा बाबाजी

जुहू तट पर अपनी अपनी आयटम संग
खोज  रहे  सब  कोना- खांचा  बाबाजी

सीधे सच्चे बन्दे  जिसमें  ढलते थे
टूट गया है क्या वह सांचा बाबाजी

महाराष्ट्र में रह कर मैं भी सीख गया
तुमचा, आमचा, यांचा, त्यांचा बाबाजी

झंडों में बदलाव का कोई लाभ नहीं
बदलना होगा  पूरा ढांचा बाबाजी

चोर होगया नौ दो ग्यारह और पुलिस
करती रह गई  तीया-पांचा बाबाजी

 अवगुण औरों में तो ढूंढे "अलबेला"
लेकिन ख़ुद को कभी न जांचा बाबाजी

जय हिन्द !

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Comment by Albela Khatri on June 8, 2012 at 3:21pm

आभारी हूँ आपकी पसन्द और सहमति के लिए.........
धन्यवाद

Comment by Albela Khatri on June 8, 2012 at 3:13pm

शुक्रिया

शुक्रिया अरुण कान्त शुक्ला जी......

Comment by अरुण कान्त शुक्ला on June 8, 2012 at 2:21pm

अवगुण औरों में तो ढूंढे "अलबेला"
लेकिन ख़ुद को कभी न जांचा बाबाजी वाह ..

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 8, 2012 at 1:24pm

झंडों में बदलाव का कोई लाभ नहीं 
बदलना होगा  पूरा ढांचा बाबाजी 

सहमत.

Comment by Albela Khatri on June 7, 2012 at 11:05pm

धन्यवाद भाई कुमार गौरव जी,
शुक्रिया

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on June 7, 2012 at 11:03pm

बहुत अच्छी रचना अलबेला जी....आपके हास्य का तो दीवाना मैं पहले से ही हूँ....अच्छा लिखने के लिए बधाई...

Comment by Albela Khatri on June 7, 2012 at 10:37pm
ताज तो मुर्दा है भाई, मैं अभी ज़िन्दा हूँ
और इस गुनाह के लिए बड़ा शर्मिन्दा हूँ
यानी परकटा परिन्दा हूँ हुज़ूर .........

_____हा हा हा हा ......मज़ा आ गया उमाशंकर जी,

धन्यवाद प्रोत्साहन के लिए
Comment by UMASHANKER MISHRA on June 7, 2012 at 10:11pm

हास्य के इस कुशल चितेरे पर हमें नाज है|

अलबेला नहीं ये हम सब के सर में ताज है||  

याने हिंदुस्तान को नाज है हुजुर

Comment by Albela Khatri on June 7, 2012 at 8:02pm

आपके स्नेहसिक्त आशीर्वाद  ने मनोबल बढ़ा दिया आदरणीय उमाशंकर मिश्रा जी,
आभारी हूँ...........परन्तु क्षमा करना  खंड-काव्य  में मेरी कोई रुचि नहीं है......मैं तो  अखण्ड-काव्य  का प्रयास कर रहा हूँ.......हा हा हा हा

रही बात पगड़ी की तो ये फोटो उस समय का है जब मैंने सोनी टी वी पर  कॉमेडी का बादशाह  में विजय प्राप्त करके  ख़िताब के रूप में ये पगड़ी हासिल की थी . आपकी आशीष से ऐसी कई पगड़ियाँ  पाने का सौभाग्य प्रभु ने दिया

आपकी सराहना  और आशंसा  सर  आँखों पर.......स्नेह बनाए रखिये
सादर

Comment by UMASHANKER MISHRA on June 7, 2012 at 7:20pm

कितना झूठा, कितना साचा बाबाजी
हमने सब का  चेहरा बांचा बाबाजी

लगे रहो भाई अलबेला जी धीरे धीरे एक खंड काव्य की

ओर अग्रसर हो रहे हो......... "बाबा जी"

पगड़ी सर पर खूब जँच रही है बाबाजी

सूटिंग हो रही, कोई  रस्ते का ढाबा जी ...सब कुछ बढ़िया है

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