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मौज कोई सागर के किनारों से मिली

मौज कोई सागर के किनारों से मिली  

 साँसे अपनी दिल के इशारों से मिली  

सोंधी सी महक बारिश का इल्म देती है 

गुलशन की खबर ऐसे बहारों से मिली 

आंधी ने नोच डाले हैं दरख्तों से पत्ते 

जुदाई की भनक आती बयारों से मिली 

चाँद खुश है रोशन करेगा बज्मे- जानाँ   

आस नभ में चमकते सितारों से मिली 

हरेक  लब उसे अकेले में गुनगुनायेंगे   

ऐसी कोई नज्म संगीतकारों से मिली 

पंहुच गई है परदेश में निशा की डोली 

खबर भोर में आते हुए कहारों से मिली

चल हम भी जुड़ जाएँ अब इस हुजूम में 

ये सनक आसमाँ में गूंजते नारों से मिली 

जनतंत्र गिरा देगा भ्रष्टाचार की ईमारत   

ये खबर आज ही  के अखबारों से मिली

                *******  

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Comment by arunendra mishra on June 3, 2012 at 11:49pm

जनतंत्र गिरा देगा भ्रष्टाचार की ईमारत   

ये खबर आज ही  के अखबारों से मिली

.....बधाई स्वीकार करे ....सुन्दर रचना हेतु 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 3, 2012 at 11:07pm

उमाशंकर मिश्र जी तहे दिल से शुक्रिया दाद देने के लिए 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 3, 2012 at 11:06pm

प्रिय महिमा श्री जी आपको ग़ज़ल बहुत पसंद आई मेरी लेखनी सार्थक हुई हार्दिक आभार 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 3, 2012 at 11:04pm

अलबेला खत्री जी तहे दिल से शुक्रिया आपने इतने अच्छे से मेरी पूरी ग़ज़ल का विश्लेषण किया और उसे सराहा 

Comment by UMASHANKER MISHRA on June 3, 2012 at 10:43pm

 आंधी ने नोच डाले हैं दरख्तों से पत्ते 

जुदाई की भनक आती बयारों से मिली

क्या बात है राजेश कुमारी आज तो एक से एक नहले पे दहला

गजलें पढ़ने को मिल रही है

जनतंत्र गिरा देगा भ्रष्टाचार की ईमारत   

ये खबर आज ही  के अखबारों से मिली .....बहुत कुछ कह रही हैं

सभी लाइने एक से बढ़ कर एक है.ढेरों बधाई

Comment by MAHIMA SHREE on June 3, 2012 at 10:08pm

पंहुच गई है परदेश में निशा की डोली 

खबर भोर में आते हुए कहारों से मिली

चल हम भी जुड़ जाएँ अब इस हुजूम में 

ये सनक आसमाँ में गूंजते नारों से मिली 

जनतंत्र गिरा देगा भ्रष्टाचार की ईमारत   

ये खबर आज ही  के अखबारों से मिली

वाह वाह!!!! आदरणीया राजेश दी ... हरेक पंक्तिया लाजवाब .. क्या कहू बहुत अच्छा लगा

बधाई स्वीकार करें

Comment by Albela Khatri on June 3, 2012 at 9:56pm

जय हो आपकी  राजेश कुमारी जी........जैसे जैसे आपको बांचता जा रहा हूँ.......आपके लेखन के प्रति नमित होता जा रहा हूँ .  आज की यह रचना  बहुत पसन्द आई..........बधाई.........

मौज कोई सागर के किनारों से मिली  

 साँसे अपनी दिल के इशारों से मिली  ____वाह वाह ....बस साँसें में बिन्दी लगा लें 

सोंधी सी महक बारिश का इल्म देती है 

गुलशन की खबर ऐसे बहारों से मिली 

आंधी ने नोच डाले हैं दरख्तों से पत्ते 

जुदाई की भनक आती बयारों से मिली _________क्या कहने.......

चाँद खुश है रोशन करेगा बज्मे- जानाँ   

आस नभ में चमकते सितारों से मिली 

हरेक  लब उसे अकेले में गुनगुनायेंगे   

ऐसी कोई नज्म संगीतकारों से मिली 

पंहुच गई है परदेश में निशा की डोली 

खबर भोर में आते हुए कहारों से मिली_________यहाँ आ कर तो  बात ही पूरी हो गई

चल हम भी जुड़ जाएँ अब इस हुजूम में 

ये सनक आसमाँ में गूंजते नारों से मिली ....वाह.बहुत ख़ूब.........

______बधाई  बारम्बार बधाई ......



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