For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जनाब हिलाल अहमद "हिलाल" के 7 कत'आत

//मशविरा//
हरगिज़ ना करना चाहिए इन्सान को गुरूर
दनिश्वरी के जौम में हो जाते हैं कुसूर
मैंने तमाम उम्र किया है सफ़र मगर
अब तक ज़मीं पे चलने का आया नहीं श'ऊर

//वाबस्तगी//
निगाह मिलते ही तुझको सलाम करता हूँ
तेरी नज़र का बड़ा एहतराम करता हूँ ,
मेरी ज़ुबां तेरी गुफ्तार से है वाबस्ता,
ये कौन कहता है सबसे कलाम करता हूँ !

//बदकिस्मती//
वो है मेरा रफीक मैं उसका रकीब हूँ
दुनिया समझ रही मैं उसके करीब हूँ
चाहा था जिसने मुझको मैं उसका ना हो सका,
मैं बदनसीब हूँ मैं बड़ा बदनसीब हूँ !

//ज़ब्त//
जब से अना की आग में जलने लगा हूँ मैं
मानिंद-ए-मोम खुद ही पिघलने लगा हूँ मैं
मुमकिन है मेरे मुँह से निकल आए अब लहू.
आँसू समझ के हीरे निगलने लगा हूँ मैं !

//कोशिश//
तूने शब्-ए-विसाल को आने नहीं दिया,
मैंने भी इस मलाल को आने नहीं दिया,
रखा है खुद को दूर तेरी याद से बहुत,
दिल में तेरे ख्याल को आने नहीं दिया !

//जदीदियत//
ख्याल उठने से पहले ही सो गए होंगे,
कुछ अपने हाल-ए-तबाही पे रो गए होंगे,
जदीद ज़ेहन में मैदान-ए-कर्बला की तरह,
शहीद कितने ही अलफ़ाज़ हो गए होंगे !

//तवक्कुफ़//
क्यों कहू खुद से मै जुदा तुमको.
जब के अपना बना चुका तुमको !
तुम तसव्वुर में आ गए फ़ौरन,
जब भी चाहा के देखता तुमको !

Views: 354

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 22, 2010 at 11:06pm
जब से अना की आग में जलने लगा हूँ मैं
मानिंद-ए-मोम खुद ही पिघलने लगा हूँ मैं
मुमकिन है मेरे मुँह से निकल आए अब लहू.
आँसू समझ के हीरे निगलने लगा हूँ मैं !
वाह वाह , बहुत खूब , OBO परिवार ने तो आप के रूप मे हीरा पाया है, बहुत खूब कहते है आप, बधाई,
Comment by Subodh kumar on September 22, 2010 at 4:55pm
bahut khub yograj jee...ख्याल उठने से पहले ही सो गए होंगे,
कुछ अपने हाल-ए-तबाही पे रो गए होंगे,
जदीद ज़ेहन में मैदान-ए-कर्बला की तरह,
शहीद कितने ही अलफ़ाज़ हो गए होंगे !
sunder...maja aa gaya...itni sunder rachna keliye dhanyabaad aapko..

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"पुनः आऊंगा माँ  ------------------ चलती रहेंगी साँसें तेरे गीत गुनगुनाऊंगा माँ , बूँद-बूँद…"
30 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"एक ग़ज़ल २२   २२   २२   २२   २२   …"
4 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"स्वागतम"
16 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
16 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय चेतन जी सृजन के भावों को मान और सुझाव देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी प्रतिक्रिया से उत्साहवर्धन हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरनीय लक्ष्मण भाई  , रिश्तों पर सार्थक दोहों की रचना के लिए बधाई "
Thursday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  भाई  , विरह पर रचे आपके दोहे अच्छे  लगे ,  रचना  के लिए आपको…"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई चेतन जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए हार्दिक धन्यवाद।  मतले के उला के बारे में…"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए आभार।"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service