For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")


'ग़ज़ल'

दुआओं से किसी की फल रहा हूँ

निगाहों में तुम्हारी खल रहा हूँ

 

किसी को भी नहीं मैं छल रहा हूँ

न तो रहमोकरम पर पल रहा हूँ

 

बुरा था वक्त पीछे छोड़ आया

नहीं भूला जहाँ पर कल रहा हूँ

 

हिमालय की रुपहली बर्फ पर जा

वतन के वास्ते मैं गल रहा हूँ

 

दिलों में प्यार की शमआ जलाने

मैं अपनी रहगुज़र पर चल रहा हूँ

 

दुआयें माँ की अपने साथ में ले

बुजुर्गों का मुसलसल बल रहा हूँ

 

किसी के प्यार में भूला तुम्हें क्यों

तुझे खोकर हथेली मल रहा हूँ

 

भुला दूं तुमको कैसे आज जानम्

पहेली तुम तुम्हारा हल रहा हूँ

 

सियासत से रहो तुम दूर ‘अम्बर’

बुरी है आग नाहक जल रहा हूँ

--अम्बरीष श्रीवास्तव

Views: 966

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Er. Ambarish Srivastava on July 14, 2012 at 11:19pm

धन्यवाद आदरणीय भ्रमर जी ! आपकी सराहना से हृदय में एक नवऊर्जा का संचार होता है ....सादर

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on May 21, 2012 at 11:27pm

दिलों में प्यार की शमआ जलाने

मैं अपनी रहगुज़र पर चल रहा हूँ

 

दुआयें माँ की अपने साथ में ले

बुजुर्गों का मुसलसल बल रहा हूँ

आदरणीय अम्बरीश जी बहुत सुन्दर भाव लिए गजल ...हिंद और पाक का बाघा बार्डर याद हो आया वहां गुजारे वक्त ...आभार आप का ..माँ की दुवाएं हमारे वीरों के साथ सदा रहें  -भ्रमर ५ 

Comment by Er. Ambarish Srivastava on May 1, 2012 at 12:24am

स्वागत है मित्र शैलेन्द्र जी ! आपका हार्दिक धन्यवाद |

Comment by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on April 30, 2012 at 12:33pm

बुरा था वक्त पीछे छोड़ आया

नहीं भूला जहाँ पर कल रहा हूँ

 

हिमालय की रुपहली बर्फ पर जा

वतन के वास्ते मैं गल रहा हूँ

 

दिलों में प्यार की शमआ जलाने

मैं अपनी रहगुज़र पर चल रहा हूँ

मुसलसल गजल पर हार्दिक बधाई स्वीकार करें अम्बरीष सर

Comment by Er. Ambarish Srivastava on April 30, 2012 at 9:15am

नमस्कार महिमा जी, गज़ल को सराहने के लिए आपका हार्दिक आभार !

Comment by MAHIMA SHREE on April 29, 2012 at 7:11pm

हिमालय की रुपहली बर्फ पर जा

वतन के वास्ते मैं गल रहा हूँ

 

दिलों में प्यार की शमआ जलाने

मैं अपनी रहगुज़र पर चल रहा हूँ

आदरणीय अम्बरीश सर , नमस्कार

बहुत ही भावपूर्ण रचना .... बहुत-२ बधाई आपको

 

Comment by Er. Ambarish Srivastava on April 29, 2012 at 3:55pm

स्वागत है आदरणीय कुशवाहा साहब , आपका  हार्दिक आभार ! बहुत अच्छी पंक्तियाँ कही हैं आपने !

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 29, 2012 at 2:16pm

aadarniy ambrish ji, saadar.

chitra hi mere lahoo ke ubal ke liye kaafi hai

gajal to puri ki imtihaan abhi baaki hai.

ye achha hi kiya na likha paimane par 

bahah tere intjar main khadi ek saaki hai. 

laakh sitam ye kar len rahnuma mere

bah chuka bah raha par abhi bhi lahoo baaki hai. 

badhai.

Comment by Er. Ambarish Srivastava on April 28, 2012 at 5:48pm

स्वागत है आदरणीया वंदना जी ! गजल की तारीफ़ के लिए तहे दिल से शुक्रिया !

Comment by Er. Ambarish Srivastava on April 27, 2012 at 5:55pm

स्वागतम आदरणीय अविनाश बागडे जी ! अशआर की तातीफ के लिए तहे दिल से आपका शुक्रिया !

'हिमालय की रुपहली बर्फ पर जा' में 'जा' का प्रयोग सिर्फ अपने लिए हुआ है | जबकि 'आ' का प्रयोग स्वयं या सामने वाले दोनों के लिए बेहतर है | अतः इसे 'आ' भी किया जा सकता है | बल्कि मैं तो यह कहूँगा कि स्थान की आवश्यकतानुसार दोनों में से कोई भी एक  प्रयोग किया जा सकता  है !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण भाईजी, आपने प्रदत्त चित्र के मर्म को समझा और तदनुरूप आपने भाव को शाब्दिक भी…"
10 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"  सरसी छंद  : हार हताशा छुपा रहे हैं, मोर   मचाते  शोर । व्यर्थ पीटते…"
15 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ रोहिंग्या औ बांग्ला देशी, बदल रहे परिवेश। शत्रु बोध यदि नहीं हुआ तो, पछताएगा…"
16 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय, जय हो "
yesterday
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Dec 14
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Dec 14
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Dec 14
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Dec 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service