For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

'हनुमान जयन्ती पर विशेष'

“हनुमान जयन्ती पर विशेष”

'दोहे'

 

खिली धूप धरती हँसे, शीतल चले बयार.

बजरंगी का जन्मदिन, हर्षित सब संसार..

 

चरण-शरण में हम रहें, बहे स्नेह की धार.

सृष्टि प्रदूषित जो करे, सहे गदा की मार..

 

आँखों पर चश्मा चढ़ा,  छाया भ्रष्टाचार.

मुक्ति हमें अब दीजिए, अपनायें आचार..

 

भारत माता है दुखी, आँखों में है नीर.

संकटमोचन आप हैं, हर लें उसकी पीर.

 

राम कृपा हम पर रहे, दूर रहे अभिमान.

भारत छाये विश्व में, शिवजी दें वरदान..

 

हो धर्मों में एकता, तोड़ द्वेष के डंक.

मानवता हो विश्व में, दूर रहे आतंक.. 

 

आपस में मिलकर रहें, सबको दें सम्मान.

एक सूत्र में सब बंधें, पवनपुत्र हनुमान..

 

--अम्बरीष श्रीवास्तव

Views: 3474

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Er. Ambarish Srivastava on April 7, 2012 at 8:52am

स्वागत है मित्र जवाहर लाल सिंह जी ! जय संकटमोचन बजरंगी !

बजरंगी हनुमत कहें, रामभक्त नहिं  कोय.

पवनपुत्र को ध्याइये, संकटमोचन सोय..

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on April 7, 2012 at 7:54am

आपस में मिलकर रहें, सबको दें सम्मान.

एक सूत्र में सब बंधें, पवनपुत्र हनुमान..

को नहीं जानत है जग में कपि संकट मोचन नाम तिहारो.

जय बजरंग बली!

Comment by Er. Ambarish Srivastava on April 6, 2012 at 11:59pm

स्वागतम आदरणीय भाई बागी जी ! दोहों की सराहना के लिए हार्दिक आभार  सहित आपको भी हनुमान जयन्ती के पावन अवसर पर सपरिवार शुभकामनाएं ! :-)

Comment by Er. Ambarish Srivastava on April 6, 2012 at 11:57pm

जय बजरंग बली! आदरणीय प्रदीप जी , सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार मित्र !


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 6, 2012 at 11:00pm

बहुत खूब अम्बरीश भाई, एकता, बंधुत्व और शांति के सन्देश देते हुए दोहों के लिए बहुत बहुत बधाई स्वीकार करे , हनुमान जयंती पर आपको सपरिवार शुभकामनायें |

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 6, 2012 at 10:20pm

jay bajrangbali, vishesh avsar par prabhu ki yaad sundar doho ke madhyam se dilane hetu abhar. badhai. mahodaya ji.

Comment by Er. Ambarish Srivastava on April 6, 2012 at 4:18pm

स्वागत है भाई शलेन्द्र जी ! इन दोहों को सराहने के लिए आपका हार्दिक आभार !

Comment by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on April 6, 2012 at 3:42pm

अम्बरीष सर सादर नमन,हनुमान जयंती के अवसर पर बेहतरीन दोहों के लिए अपने अनुज से बधाई स्वीकार करें


 

Comment by Er. Ambarish Srivastava on April 6, 2012 at 3:21pm

नमस्कार महिमा जी,  आपका स्वागत है !

दोहा पसंद करने के लिए आपका हार्दिक आभार ! प्रभु हनुमान जी हम सभी को सद्बुद्धि दें ताकि  बढ़ता हुआ यह प्रदूषण नियंत्रित होकर समाप्त हो सके ! जय बजरंग बली !

Comment by Er. Ambarish Srivastava on April 6, 2012 at 2:46pm

स्वागतम आदरणीय मापतपुरी जी ! बिल्कुल सच कह रहे हैं आप ! हार्दिक आभार मित्रवर ! :-)

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आदरणीय नीलेश नूर भाई, आपकी प्रस्तुति की रदीफ निराली है. आपने शेरों को खूब निकाला और सँभाला भी है.…"
5 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय posted a blog post

ग़ज़ल (हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है)

हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है पहचान छुपा के जीता है, पहचान में फिर भी आता हैदिल…See More
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है हार्दिक बधाई।"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन।सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं हार्दिक बधाई।"
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। इस मनमोहक छन्दबद्ध उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
" दतिया - भोपाल किसी मार्ग से आएँ छह घंटे तो लगना ही है. शुभ यात्रा. सादर "
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"पानी भी अब प्यास से, बन बैठा अनजान।आज गले में फंस गया, जैसे रेगिस्तान।।......वाह ! वाह ! सच है…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"सादा शीतल जल पियें, लिम्का कोला छोड़। गर्मी का कुछ है नहीं, इससे अच्छा तोड़।।......सच है शीतल जल से…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"  तू जो मनमौजी अगर, मैं भी मन का मोर  आ रे सूरज देख लें, किसमें कितना जोर .....वाह…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"  तुम हिम को करते तरल, तुम लाते बरसात तुम से हीं गति ले रहीं, मानसून की वात......सूरज की तपन…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"दोहों पर दोहे लिखे, दिया सृजन को मान। रचना की मिथिलेश जी, खूब बढ़ाई शान।। आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service