For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गोरी के आंचल में 

झिलमिल सितारे हैं 

चंदा को सूरज भी 

छिप के निहारे है 

------------------------

रेत के समंदर में 

बूँद एक उतरी तो 

ललचाई नजरों ने 

सोख लिया प्यारी को 

----------------------------

उदय अंत में त्रिशंकु -

बन ! मै लटकता हूँ 

राहु -केतु से कटे भी 

दंभ लिए फिरता हूँ 

---------------------------

चार दिन की जिन्दगी है 

चार पल की यारी है 

चाँद भी खिसक गया 

रात अंधियारी हैं 

-------------------------

कल अंडा था 

बच्चा बनकर 

चीं चीं चूं चूं बोला 

खेला खाया 

उड़ा साथ कुछ 

मै रह गया अकेला 

Views: 584

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by MAHIMA SHREE on April 15, 2012 at 10:49pm

आदरणीय भ्रमर सर

नमस्कार , सर क्या बात है , बिलकुल अलग अंदाज में ..

बहुत अच्छी और हट के प्रस्तुति.. 

Comment by satish mapatpuri on April 15, 2012 at 9:31pm

गोरी के आंचल में

झिलमिल सितारे हैं

चंदा को सूरज भी

छिप के निहारे है

यह हुई न भ्रमर वाली बात ............. खुबसूरत ....... दाद कुबूल फरमाएं

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on April 15, 2012 at 8:55pm

बहुत सुन्दर रचना है भ्रमर जी, सुन्दर भाव के साथ, बधाई...


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 15, 2012 at 4:35pm

शानदार भ्रमर जी, सभी लघु कवितायेँ सुन्दर बन पड़ी हैं , बधाई स्वीकारें |

Comment by Sarita Sinha on April 15, 2012 at 1:51pm

बहुत सुन्दर रचना है भ्रमर जी, सुन्दर भाव के साथ, बधाई...

Comment by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on April 15, 2012 at 1:14am

चंदा को सूरज भी 

छिप के निहारे है

आदरणीय भ्रमर सर बहुत ही सुन्दर रचना बधाई स्वीकार करें

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service