For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बचपन बीता खेलों में 
माँ के सुन्दर सुन्दर गीतों में 
मन मयूर  मचलता फिरता  गलियन में 
भौंरा बन मंडराता छुप जाता  कलियन में 
गावों की नागिन सी  पग डंडियाँ 
बलखाती जा मिली जब हसीं शहरों से 
प्रेम रंग में डूब गया जा टकराया लहरों से 
कुछ मीत यहाँ कुछ मीत वहां 
कुछ साथ रहे  कुछ बिछड  गए 
हमने देखा  उसने पहचाना 
वादा था जीवन साथ निभाना 
वादे करते वो आईने से 
हाथ लगे और टूट गए 
खट्टी मीठी यादों के सुर 
पैरों में जैसे बंधे नुपुर 
लय ताल न रही बिखर गए 
जीवन के नित रंग नए -नए 
डूबा न गम के अंधेरों में 
प्रेम की फितरत पहचानी 
सुने थे किस्से हीर मजनू के 
मिली न वो हुई अनजानी 
ये प्रेम पुष्प जो खिलता  है 
सच्चे ह्रदय से निकलता है 
सच्चा है  केवल माँ का  प्रेम 
काहे दूजे की दुनिया दीवानी 
करलो न अपने देश से प्रेम 
तुम बन जाओ एक सेनानी. 

Views: 625

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 21, 2012 at 10:57pm

snehi anand ji, shubhashish. aese hai protsahit karte rahiye. dodta rahunga. dhanyvad.

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 20, 2012 at 1:21pm

aadarniya harish ji, sadar abhivadan. aapne apne vyast samay se samay dekar sarahna ki. abhar.

Comment by Harish Bhatt on March 20, 2012 at 11:13am

aadarniya kushwaha ji saadar pranaam. ek aur sundar rachna ke liye hardik badhayi. 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 19, 2012 at 10:17pm

आदरणिया नीरजा जी, सादर अभिवादन.
सराहना हेतु आभार .स्नेह बनाए रखिए.

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 19, 2012 at 2:39pm
aadarniy shahi jii. sadar abhivadan. ye dono prem mujhe nihswarth lage. sneh hetu abhar.
Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 19, 2012 at 12:48pm
स्नेही वाहिद  जी. सादर . सत्य है . समर्थन हेतु  बधाई आपको भी. 
Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 19, 2012 at 12:46pm

स्नेही अश्विन जी. सादर . मार्गदर्शन हमेशा अपेक्षित धन्यवाद. 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 19, 2012 at 12:44pm
स्नेही महिमा जी. सादर . आप को आनंद प्राप्त हुआ . बधाई आपको भी. 
Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 19, 2012 at 12:41pm

आदरणीय शशि भूषण  जी, सादर अभिवादन. 

स्नेह प्राप्त हुआ. धन्यवाद. 
Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 19, 2012 at 12:38pm

आदरणीय राजीव जी, सादर अभिवादन. 

साझा किया , धन्यवाद. 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"रजाई को सौड़ कहाँ, अर्थात, किस क्षेत्र में, बोला जाता है ? "
9 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
9 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय  सौड़ का अर्थ मुख्यतः रजाई लिया जाता है श्रीमान "
9 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"हृदयतल से आभार आदरणीय 🙏"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय…"
yesterday
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service