For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

            

भरत की व्यथा 

घनी अंधियारी  काली रात ।

सूझता नहीं हाथ को हाथ ।

घोर सन्नाटा सा है व्याप्त ।

नहीं है वायु भी पर्याप्त ।


नहीं है काबू में अब मन ।

हुआ है  जब से राम गमन ।

भटकते होंगे वन और वन ।

सोंच यह व्याकुल होता मन ।


नगर से बाहर सरयू तीर ।

साधू के वेश में बैठा वीर ।

झरे नयनों से निर्झर नीर।

न जाने कोई  उसकी  पीर ।


न हो जब कोई कार्य विशेष ।

करे तब मन निज हिर्दय प्रवेश ।

रह रह कर उठता है आवेश ।

अभी भी एक बरस है शेष ।


सोंच मन होता वहुत अधीर ।

तोड़ मर्यादा की प्राचीर ।

कहीं नश्तर के जैसी पीर ।

न डाले मेरे  उर को चीर ।


भरत जो नहीं सका पहिचान।

खून की महिमा से अनजान ।

लखन के संकट में थे प्राण ।

भरत को बना रहे निष्प्राण ।   


रक्त का ऐसा है सम्बन्ध ।

बनाता है ऐसा अनुबंध।

भाई पर आये दुःख का फंद ।

भाई नहीं रह सकता निस्पंद ।


नहीं है शेष कोई भी काम ।

सतत है प्रतीक्षा अविराम ।

गए है जब से वन में राम ।

भरत कैसे पाए विश्राम ।


गगन में हुई प्रकाश की वर्ष्टि ।

थम गयी जैसे मानो श्रष्टि ।

भरत के मन ने की जब पुष्टि ।

गड़ा दी आसमान में द्रष्टि ।


कर रहा नील गगन को लाल ।

हाथ में पर्वत लिए विशाल ।

आकृति में  लगता था विकराल ।

गति मानो मायाबी चाल  ।


न हो भैया को कुछ नुकसान ।

आकृति को राक्षस जैसा जान ।

लक्ष्य पर लिया निशाना तान ।

भरत ने किया वाण संघान ।


लगा जब कपि को जाकर तीर ।

हुई तब उसको भीषण पीर ।

तुरंत ही मूर्क्षित हुआ शरीर ।

गिरा फिर आहत हो कर वीर ।


कहा गिरते गिरते श्री राम ।

भरत को अचरज हुआ महान ।

गए जब परिचय कपि का जान ।

कहा तब क्षमा करो हनुमान  ।


लखन को लगा शक्ति का वाण ।

इसलिए संकट में है प्राण ।

हो रहा है प्रभात का भान ।

अतः अब विदा करो श्रीमान ।


भरत तब बोले हे हनुमान।

मुझे है राम चरण की आन ।

लखन तक तुरत करो प्रयाण ।

बैठ जाओ तुम मेरे वाण ।


कहा तब हाथ जोड़ हनुमान ।

हर्दय में सदा वसत है राम ।

पहुँच जाऊँगा लेकर नाम ।

राम से बड़ा राम का नाम ।


भरत ने कहा सुनो हनुमान ।

कर रहे पूर्ण राम के काम ।

आज मै भेद गया ये जान ।

भक्त के वश में क्यों भगवान् ।

Views: 496

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by वीनस केसरी on February 15, 2012 at 8:57pm

सुन्दर भावाभिव्यक्ति


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on February 13, 2012 at 9:53am

LOON KARAN CHHAJER jee , Rachnakaar kaa naam BHARAT nahi balki Mukesh Kumar Saxena hai :-)

Comment by LOON KARAN CHHAJER on February 12, 2012 at 10:53pm

Bharat ji aapki ejajat ho to me es kavita ko apne akhbar "thaar express " me prakashit karna chahta hun. aap mujhe  apni swikriti bhejen

lkchhajer@gmail.com


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on February 12, 2012 at 9:31pm

आज मै भेद गया ये जान ।

भक्त के वश में क्यों भगवान् ।

आदरणीय मुकेश सक्सेना जी, सबसे पहले तो आपके इस प्रयास को नमन करता हूँ , बहुत ही खुबसूरत रचना, भरत की व्यथा और उनके ह्रदय में उफान रहे वेदना को बहुत ही सटीक उकेरा है, बहुत बहुत आभार और बधाई इस खुबसूरत प्रस्तुति हेतु |

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on February 5, 2012 at 1:52pm

वाह सुन्दर पदावली,,,,,,,,,,,अभिनन्दन,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदरणीय गिरीराज जी नमस्कार  बहुत शुक्रिया आपका  सादर "
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदरणीय अमित जी  बहुत शुक्रिया आपका समझाने के लिए कोशिश करती हूँ फिर से सुधार…"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदरणीय अजय भाई, //निगाह डाल दे अपनी नशे को है ये बहुत ए साक़ी जाम में मेरे शराब भी न मिला// नज़र…"
1 hour ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . .तकदीर
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । मुझे तो कलों के हिसाब से सही लग…"
1 hour ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"बहुत आभार आदरणीय गिरिराज जी"
2 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदरणीय नीलेश भाई, आप हमेशा से इस मंच के चुनिंदा उत्तम रचनाकारों में रहें हैं। आप की प्रतिभा, समझ,…"
3 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आ. गिरिराज जी लम्बे अंतराल के बाद आपकी उपस्थिति मंच को नई उर्जा दे रही है.अमित जी के सुझाव…"
3 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आ. गिरिराज सर,आपको यहाँ देख कर अत्यंत हर्ष हो रहा है. शायद अब OBO के पुराने दिन लौट आएं..बहुत बहुत…"
4 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"धन्यवाद आ. मयंक जी "
4 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"धन्यवाद आ. ऋचा जी "
4 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"धन्यवाद आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब "
4 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"धन्यवाद आ. अमित जी मुहब्बत को मैं मुहब्बत हो लिखूँगा क्यूँ कि देवनागरी में ऐसे ही लिखा जाता…"
4 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service