For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

रेशम के शहर आ बसा हूँ इस यकीन से
कोई तो मिले इश्क जिसे पापलीन से !

मैं चाँद सितारों के ज़िक्र में हूँ अनाड़ी,
इन्सान हूँ जुड़ा हुआ अपनी ज़मीन से !.

सच्चाई की तासीर तो कड़वी ही रहेगी,
आएगी न मिठास कभी भी कुनीन से !

मजबूरी-ए-हालात है कुछ और नहीं है,
जो मस्त लगा नाग सपेरे की बीन से !

बंगले मकान तो यहाँ लाखो ही मिलेंगे
घर ढूँढना पड़ेगा मगर दूरबीन से !

सर को उठाऊँ ग़र तो चूल्हा रहे ठंडा,
सर को झुकाऊँ गर तो गिरता हूँ दीन से

ससुराल में बिटिया के हालात जो सुने,
कांटे जिगर में चुभ गए लाखों महीन से !.

Views: 698

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on September 8, 2010 at 3:55pm
हौसला अफजाई का बहुत बहुत धन्यवाद बबन पाण्डेय जी !

प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on September 8, 2010 at 3:54pm
नवीन भाई आपकी पारखी नज़र को सलाम है ! अपने कहा तो ये छठा शेअर मुझे भी अच्छा लगने लगा है ! कोशिश करूँगा की जो तिल चावल हैं मित्रों की खिदमत में पेश करता रहूँ !
Comment by baban pandey on September 8, 2010 at 1:30pm
"मैं चाँद सितारों के ज़िक्र में हूँ अनाड़ी,
इन्सान हूँ जुड़ा हुआ अपनी ज़मीन से !."..
बड़े भाई ...आपकी यह लाईन करीब दो माह पहले फेसबुक पढ़ा था और कमेन्ट किया था
उसी समय सोच रहा था ...ये पूरी कब होगी
आज जाकर खावाहिस पूरी हुई ...
पूरी तस्सल्ली के साथ
जय हो .

प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on September 7, 2010 at 3:19pm
Thanks for liking Subodh bhai.
Comment by Subodh kumar on September 7, 2010 at 3:11pm
wah yograj jee..kamaal ki ghajal likhi hai aapne ..maza aa gaya,,, bahut suder.

प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on September 7, 2010 at 2:24pm
Thanks Ravi Guru jee
Comment by Rash Bihari Ravi on September 7, 2010 at 1:44pm
jai ho bahut sundar bahut badhia

प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on September 7, 2010 at 11:19am
ग़ज़ल पसंद करने के लिए शुक्रिया आशीष जी !
Comment by आशीष यादव on September 7, 2010 at 11:16am
प्रभाकर जी प्रणाम,
अगर किसी शे'र की खुशामद कर दूँ तो अन्यों की तवहीं होगी| मै किस की बडाई करूँ| सारे एक से बढ़कर एक| हर एक शे'र खुद में ही पूरा है| और सारे मिलकर एक अद्भुत ग़ज़ल की रचना कर रहे हैं| बहुत ही अच्छा लगा पढ़ कर|

प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on September 7, 2010 at 10:58am
हौसला अफजाई का बहुत बहुत धन्यवाद बागी जी !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"सतरंगी दोहेः विमर्श रत विद्वान हैं, खूंटों बँधे सियार । पाल रहे वो नक्सली, गाँव, शहर लाचार…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"आ. भाई रामबली जी, सादर अभिवादन। सुंदर सीख देती उत्तम कुंडलियाँ हुई हैं। हार्दिक बधाई।"
3 hours ago
Chetan Prakash commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"रामबली गुप्ता जी,शुभ प्रभात। कुण्डलिया छंद का आपका प्रयास कथ्य और शिल्प दोनों की दृष्टि से सराहनीय…"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"बेटी (दोहे)****बेटी को  बेटी  रखो,  करके  इतना पुष्टभीतर पौरुष देखकर, डर जाये…"
7 hours ago
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार सुशील भाई जी"
yesterday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार समर भाई साहब"
yesterday
रामबली गुप्ता commented on सालिक गणवीर's blog post ग़ज़ल ..और कितना बता दे टालूँ मैं...
"बढियाँ ग़ज़ल का प्रयास हुआ है भाई जी हार्दिक बधाई लीजिये।"
yesterday
रामबली गुप्ता commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post करते तभी तुरंग से, आज गधे भी होड़
"दोहों पर बढियाँ प्रयास हुआ है भाई लक्ष्मण जी। बधाई लीजिये"
yesterday
रामबली गुप्ता commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक - गुण
"गुण विषय को रेखांकित करते सभी सुंदर सुगढ़ दोहे हुए हैं भाई जी।हार्दिक बधाई लीजिये। ऐसों को अब क्या…"
yesterday
रामबली गुप्ता commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (ग़ज़ल में ऐब रखता हूँ...)
"आदरणीय समर भाई साहब को समर्पित बहुत ही सुंदर ग़ज़ल लिखी है आपने भाई साहब।हार्दिक बधाई लीजिये।"
yesterday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आहा क्या कहने भाई जी बढ़ते संबंध विच्छेदों पर सभी दोहे सुगढ़ और सुंदर हुए हैं। बधाई लीजिये।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"सादर अभिवादन।"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service