For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बीत गए बरस तिरसठ 

 हुआ  देश स्वतंत्र 
तन से नंगा हाथ में तिरंगा 
कैसा ये गणतंत्र  
अब तो राम बचावे !!
सुन्न हो गई ठण्ड  से काया 
थर थर काँपे रंक की छाती 
शाल ओढ़ कर शान से बैठे
देखो पत्थर के हाथी 
अब तो राम बचावे !! 
न मांझी न पतवार 
नौका बीच मजधार 
सीमा पे छिड़ गई जंग 
राजा ने पी ली भंग 
अब तो राम बचावे !!
सिंघों में मच गई होड़ 
रहे मेमने दौड़ 
सर पे टोपी तन पे खादी
देश की करें निशदिन बर्बादी
अब तो राम बचावे !!
 ना अंगुली ना लाठी 
बूढ़े की गिर गई काठी 
सियासत में हडकंप 
नाच रहे दल दबंग 
अब तो राम बचावे !!
जय गणतंत्र दिवस !!

Views: 492

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 24, 2012 at 9:44am

bahut bahut abhar Saurabh ji aur Ganesh ji.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 1, 2012 at 12:32pm

shukria Aasheesh ji

Comment by आशीष यादव on February 1, 2012 at 12:08pm
Bahut sundar ewam samyik rachna hai. Aaj ki (dur)dasha ka warnan hai. Badhai swikarein.

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 1, 2012 at 11:08am

bilkul sahi kah rahi hain seema ji.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on January 29, 2012 at 10:01am

dhanyavaad Sanjay ji.

Comment by Sanjay Rajendraprasad Yadav on January 29, 2012 at 9:46am
बहुत ही खुबसूरत बधाई आपको |

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on January 27, 2012 at 9:13am

dhanyavaad Shanno ji ,Saurabh ji ,Ganesh jee.

Comment by Shanno Aggarwal on January 26, 2012 at 11:22pm

देश की हकीकत पर बढ़िया रचना. बधाई.  


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 26, 2012 at 9:39pm

सुन्न हो गई ठण्ड से काया
थर थर काँपे रंक की छाती
शाल ओढ़ कर शान से बैठे
देखो पत्थर के हाथी
अब तो राम बचावे !!

भाई, वाकई अब तो राम बचावे !... .. हा हा हा..  बहुत खूब !!

 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 26, 2012 at 8:03pm

वाह वाह वाह, इसे कहते है धो कर निचोड़ देना वो भी बगैर साबुन के, बहुत ही खुबसूरत और सामयिक रचना है, बधाई आपको |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"  आ. भाई  , Mahendra Kumar ji, यूँ तो  आपकी सराहनीय प्रस्तुति पर आ.अमित जी …"
1 hour ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"1. //आपके मिसरे में "तुम" शब्द की ग़ैर ज़रूरी पुनरावृत्ति है जबकि सुझाये मिसरे में…"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जनाब महेन्द्र कुमार जी,  //'मोम-से अगर होते' और 'मोम गर जो होते तुम' दोनों…"
4 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय शिज्जु शकूर साहिब, माज़रत ख़्वाह हूँ, आप सहीह हैं।"
5 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"इस प्रयास की सराहना हेतु दिल से आभारी हूँ आदरणीय लक्ष्मण जी। बहुत शुक्रिया।"
12 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय दिनेश जी। आभारी हूँ।"
12 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"212 1222 212 1222 रूह को मचलने में देर कितनी लगती है जिस्म से निकलने में देर कितनी लगती है पल में…"
12 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"सादर नमस्कार आ. ऋचा जी। उत्साहवर्धन हेतु दिल से आभारी हूँ। बहुत-बहुत शुक्रिया।"
12 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। इस प्रयास की सराहना हेतु आपका हृदय से आभारी हूँ।  1.…"
12 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी, सादर अभिवादन! आपकी विस्तृत टिप्पणी और सुझावों के लिए हृदय से आभारी हूँ। इस सन्दर्भ…"
13 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की इस्लाह क़ाबिले ग़ौर…"
13 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीर जी बहुत शुक्रिया आपका संज्ञान हेतु और हौसला अफ़ज़ाई के लिए  सादर"
14 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service