For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मुक्तिका: समझ सका नहीं संजीव 'सलिल'

मुक्तिका:

समझ सका नहीं

संजीव 'सलिल'
*
*
समझ सका नहीं गहराई वो किनारों से.
न जिसने रिश्ता रखा है नदी की धारों से..

चले गए हैं जो वापिस कभी न आने को.
चलो पैगाम उन्हें भेजें आज तारों से..

वो नासमझ है, उसे नाउम्मीदी मिलनी है.
लगा रहा है जो उम्मीद दोस्त-यारों से..

जो शूल चुभता रहा पाँव में तमाम उमर.
उसे पता ही नहीं, क्या मिला बहारों से..

वो मंदिरों में हुई प्रार्थना नहीं सुनता.
नहीं फुरसत है उसे कुटियों की गुहारों से..

'सलिल' न कुछ कहो ये आजकल के नेता हैं.
है इनका नाता महज तोड़-फोड़ नारों से..
*********************
दिव्यनर्मदा.ब्लॉगस्पोट.कॉम

Views: 362

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sanjay Kumar Singh on August 23, 2010 at 3:47pm
Achhi rachna, baar baar padhney ko dil chaheyey,
Comment by Harsh Vardhan Harsh on August 23, 2010 at 9:10am
जो शूल चुभता रहा पाँव में तमाम उमर.
उसे पता ही नहीं, क्या मिला बहारों से..
वाह! बेहतरीन रचना, हार्दिक बधाई स्वीकार करें।
Comment by guddo dadi on August 22, 2010 at 11:29pm
नन्हे बिटवा भाई
चिरंजीव भवः
सलिल कुछ ना कहो ये आज कल के नेता हैं
है इनका नाता महज तोड़-फोड नारों से
कितना सच लिखा आपने
आज के नेता भारत रत्न पाने को रोता
क्यों करे चिंता निर्धन की आँखें मूँद कर सोता

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on August 22, 2010 at 7:53pm
वो मंदिरों में हुई प्रार्थना नहीं सुनता.
नहीं फुरसत है उसे कुटियों की गुहारों से..

बहुत ही यथार्थ रचना, बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति, आभार आचार्य जी ,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"हो गयी है  सुलह सभी से मगरद्वेष मन का अभी मिटा तो नहीं।।अच्छे शेर और अच्छी ग़ज़ल के लिए बधाई आ.…"
5 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"रात मुझ पर नशा सा तारी था .....कहने से गेयता और शेरियत बढ़ जाएगी.शेष आपके और अजय जी के संवाद से…"
7 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. ऋचा जी "
12 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. तिलक राज सर "
12 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
12 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. जयहिंद जी.हमारे यहाँ पुनर्जन्म का कांसेप्ट भी है अत: मौत मंजिल हो नहीं सकती..बूंद और…"
14 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"इक नशा रात मुझपे तारी था  राज़ ए दिल भी कहीं खुला तो नहीं 2 बारहा मुड़ के हमने ये…"
10 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय अजय जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई आपकी ख़ूब शेर कहे आपने बधाई स्वीकार कीजिए सादर"
10 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय चेतन जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छा प्रयास किया आपने बधाई स्वीकार कीजिए  सादर"
10 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है बधाई स्वीकार कीजिए सादर"
10 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय तिलक जी नमस्कार बहुत खेद है पहली बार ये गलती हुई मुझसे सादर एक कोशिश की है__ सादर चोट पहले…"
10 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय अजय जी नमस्कार बहुत शुक्रिया आपका सुधार और बेहतरी की पुनः कोशिश करूंगी सादर"
10 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service