For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

व्यंग्य - भ्रष्टाचार की आप बीती

देश में बढ़ रहे भ्रष्टाचार के बारे में मैं सोच ही रहा था कि अचानक भ्रष्टाचार प्रगट हुआ और मुझे अपनी आप-बीती सुनाने लगा। मुझे लगा, भ्रष्टाचार जो कह रहा है, वह अपनी जगह पर सही है। भ्रष्टाचार कह रहा था कि देश में काला पैसा बढ़ रहा है और कमीशनखोरी हावी हो रही है, भला इसमें मेरा क्या दोष है ? दोष तो उसे देना चाहिए, जो भ्रष्टाचार के नाम को बदनाम किए जा रहे हैं। केवल भ्रष्टाचार पर ही उंगली उठाई जाती है, एक भी दिन ऐसा नहीं होता कि कोई भ्रष्टाचारियों पर फिकरी कसे और देश के माली हालात के लिए जिम्मेदार बताए।
भ्रष्टाचार बड़े भावुक होकर कहने लगा कि बार-बार उसे ही अपमानित किया जाता है। जब कोई घोटाला होता है, मीडिया से लेकर देश की अवाम भूल जाती हैं कि इसमें भ्रष्टाचारियों की मुख्य भूमिका है, न कि भ्रष्टाचार की। भ्रष्टाचार, खुद को भ्रष्टाचारियों का महज सारथी बताता है। उसका कहना है कि भ्रष्टाचारी, उसे जो कहते हैं, वो वह करता है। भ्रष्टाचारियों के साथ चलने का ही दंश झेलना पड़ रहा है।
भ्रष्टाचार ने दर्द का इजहार करते हुए बताया कि वह चाहत तो है, किसी तरह भ्रष्टाचारियों से उसका साथ छूट जाए। इसके लिए कई बार माथा-पच्ची भी की। जब भ्रष्टाचारी अपनी करतूत से देश को आर्थिक संकट में डालते हैं, उसके बाद मेरी पहली मंशा रहती है कि घपले-घोटाले की पुख्ता जांच हो और भ्रष्टाचारियों को सजा हो, मगर तब मेरी सोच पर पानी फिर जाता है, जब जांच, दशकों तक चलती रहती है और बाद में नतीजा सिफर ही रहता है। कई बार तो जांच के बाद भी भ्रष्टाचारियों पर आंच नहीं आती है, ऐसी स्थिति बन जाती है, जैसे सांच को आंच क्या ? बस, भ्रष्टाचार ही बदनाम होता है और मुझे कोई न कोई तमगा भी मिल जाता है।
भ्रष्टाचार चाहता है कि जिस तरह वह जनता का कोपभाजन बनता है और तड़पता है तथा अपने हाल पर रोता है, वैसा हाल भ्रष्टाचारियों का भी हो। फिर अफसोस भी जाहिर करता है कि यहां ऐसा संभव नहीं है। उसने कहा कि आज तक किसी भ्रष्टाचारी पर कानून के लंबे हाथ पहुंच सका है। तिहाड़ भी पहुंच गए तो मौज को भी ‘कैश’ से ‘कैस’ करते हैं। बात-बात पर मुझे ही कटघरे में खड़ा किया जाता है, जिसे जायज नहीं कहा जा सकता। भ्रष्टाचार अपनी स्थिति पर आहें भरते हुए अपनी आप-बीती आगे बढ़ाते हुए कहा कि उसका हाल, ‘करे कोई और भरे कोई’ की तरह है। सब करनी भ्रष्टाचारी करते हैं और करोड़ों जनता की आंखों की किरकिरी, भ्रष्टाचार बनता है। सब खरी-खोटी भ्रष्टाचार को सुनाते हैं, दिन भर लोग उसे श्राप देते रहते हैं कि भ्रष्टाचार का नाश हो जाए। हालांकि, भ्रष्टाचार इस श्राप पर मजे लेता है और कहता है कि वह तो हर पल मिटने को तैयार है, किन्तु भ्रष्टाचारी इस देश से मिटे, तब ना। भ्रष्टाचारियों से उसका साथ तो चोली-दामन का है।
अंत में, भ्रष्टाचार ने अपने संदेश में कहा कि उस पर कीचड़ उछालने और घोटाले के लिए भ्रष्टाचार की खिलाफत कर, खुद का कलेजा जलाने से कुछ होने वाला नहीं है, क्योंकि इसमें उसका कोई हाथ नहीं है, सब किया-धराया भ्रष्टाचारियों का है। जब तक देश में भ्रष्टाचारी पननते रहेंगे, मजाल है कि कोई भ्रष्टाचार की शख्सियत को खत्म कर दे। भ्रष्टाचारियों की करतूत जितना देश के टकसाल को खोखला करने में लगी रहेगी, उससे भ्रष्टाचार की चांदी बनी रहेगी। भ्रष्टाचार इतराता है और कहता है, मेरा इन सब से कुछ बिगड़ने वाला नहीं है। उल्टे, दिनों-दिन मेरी प्रसिद्धि बढ़ती जा रही है। आज मेरा नाम हर घर तथा जुबान तक है। मेरी पहचान इस कदर कायम है कि इतिहास से मुझे मिटाया नहीं जा सकता।
भ्रष्टाचार हुंकार भरते हुए कहता है, नहीं लगता कि भ्रष्टाचारियों का कद मेरा इतना होगा, लेकिन देश की आर्थिक कद घटाने में मेरी कोई भूमिका नहीं है। इस बात को देश के लोगों को समझना चाहिए और जो भी कहना है, वह भ्रष्टाचारियों को कहें, तभी कुछ होगा। केवल मन का भड़ास निकालने से काम चलने वाला नहीं है। फिर कुछ ही क्षण बाद, भ्रष्टचार मेरी नजरों के सामने से ओझल हो गया। केवल इन पलों की यादें ही शेष रह गईं।


राजकुमार साहू
लेखक व्यंग्य लिखते हैं।

जांजगीर, छत्तीसगढ़
मोबा . - 074897-57134, 098934-94714, 099079-87088

Views: 245

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाई "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी and Mayank Kumar Dwivedi are now friends
Monday
Mayank Kumar Dwivedi left a comment for Mayank Kumar Dwivedi
"Ok"
Sunday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
Apr 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
Mar 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
Mar 31
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आपका हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।"
Mar 31
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Mar 31
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
Mar 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
Mar 30
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Mar 29
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Mar 29

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service