For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कौन चीखता है तेरे जुल्मतों भरे हिसारों से।

समझ ना सका मैं तेरे दर पर लगी कतारों से,
रोशनी की उम्मीद कर बैठा गर्दिशमय सितारों से।

हमसफर ही तंग दिल मिला था मुझको,
किस कदर फरीयाद करता मैं इन बहारों से।

कौन रूकेगा इस सरनंगू शजर के नीचे,
जो खुद टिका हो बेजान इन सहारों से।

आंखों के आब को अजान देते रहते हैं जो,
लम्हा-लम्हा मांगता रहा समर इन रेगजारों से।

नामो-निशां भी मिटा चुका हूं तेरा इस दिल से,
तो किस कदर गुजरू तेरे दर के रहगुजारों से।

मेरी चाहत तो खला में खो चुकी है अब,
वक्त गुजर रहा है ”हर्ष” इन शुमारों से।

तुम्हारी खुशी का सीना किसने चीरा दिलावर,
कौन चीखता है तेरे जुल्मतों भरे हिसारों से।

Views: 642

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by sanjiv verma 'salil' on August 22, 2010 at 3:09pm
padbhar men ghat-badh hai. lay par dhyan den.

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on August 22, 2010 at 9:11am
हर्ष जी इस परिवार में आपका हार्दिक अभिनन्दन है|
सुन्दर प्रयास है|वज्न पर ध्यान दें|

आप बीकानेर से है और बीकानेर साहित्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति पर है|
धन्यवाद
Comment by Admin on August 21, 2010 at 10:45am
आदरणीय हर्ष वर्धन हर्ष जी, प्रणाम,
सर्वप्रथम ओपन बुक्स ऑनलाइन के मंच पर आपकी पहली रचना का ह्रदय से स्वागत है,एक अच्छी रचना दिया है आपने , उमीद है कि आगे भी अच्छी रचनायें और अन्य रचनाओं पर आपकी बहुमूल्य टिप्पणियाँ मिलती रहेगी, धन्यवाद,

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on August 21, 2010 at 10:08am
तुम्हारी खुशी का सीना किसने चीरा दिलावर,
कौन चीखता है तेरे जुल्मतों भरे हिसारों से।

बहुत खूब हर्ष वर्धन साहिब, अच्छी रचना दी है आपने, उर्दू के कठिन शब्दों का हिंदी अर्थ यदि नीचे मे लिख दे तो सबको समझने मे आसानी होगी, धन्यवाद,
Comment by आशीष यादव on August 20, 2010 at 11:58pm
प्रणाम,
वाह, क्या गज़ब की लाईने हैं| अति सुन्दर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 165 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह बहुत सुन्दर, चित्र जीवंत हो गया..हार्दिक बधाई आदरणीय अशोक जी"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 165 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक जी उत्साहवर्धन और मार्गदर्शन के लिये हार्दिक आभार "
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 165 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, सत्य कहा है आपने जागते का स्वप्न सफलता की ओर अग्रसर करता…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 165 in the group चित्र से काव्य तक
" प्रयास पर आपके मार्गदर्शन के लिये हार्दिक आभार आदरणीय सौरभ जी"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 165 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, प्रस्तुत घनाक्षरी छंद आपको सुन्दर लगा मेरा रचना कर्म सफल…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 165 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत घनाक्षरी छंद पर उत्साहवर्धन हेतु आपका हार्दिक आभार.…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 165 in the group चित्र से काव्य तक
" आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, मेरा यह प्रयास सफल रहा इसकी मुझे प्रसन्नता है. छंद पर निरंतर…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 165 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रदत्त चित्र को बहुत सुन्दरता से परिभाषित किया है. सच है जग में…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 165 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी   एक  बैग  आज  हाथ, जो  लिया  तो  साथ साथ, आँख…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 165 in the group चित्र से काव्य तक
"मुन्नू अभी पाठशाला जाइए .. बहुत खूब सुझाव शाब्दिक हुआ है.  लेकिन, मुश्किलों को दिखा धता,…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 165 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक आभार आदरणीय अखिलेश जी"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 165 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक जी बहुत सुन्दर सारगर्भित छंद रचना हार्दिक बधाई "
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service