For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मुक्तिका: अब हिंदी के देश में --संजीव 'सलिल'

मुक्तिका
अब हिंदी के देश में
संजीव 'सलिल'
*
करो न चिंता, हिंदी बोलो अब हिंदी के देश में.
गाँठ बँधी अंग्रेजी, खोलो अब हिंदी के देश में..

ममी-डैड का पीछा छोड़ो, पाँव पड़ो माँ-बापू के...
शू तज पहन पन्हैया डोलो, अब हिंदी के देश में

बहुत लड़ाया राजनीति ने भाषाओँ के नाम पर.
मिलकर गले प्रेम रस घोलो अब हिंदी के देश में..

'जैक एंड जिल' को नहीं समझते, 'चंदा मामा' भाता है.
नहीं टेम्स गंगा से तोलो अब हिंदी के देश में..

माँ को भुला आंटियों के पीछे भरमाये बन नादां
मातृ-चरण-छवि उर में समो लो अब हिंदी के देश में..

मत सँकुचाओ जितनी आती, उतनी तो हिंदी बोलो.
नव शब्दों की फसलें बो लो अब हिंदी के देश में..

गले लगाने को आतुर हैं तुलसी सूर कबीरा संत.
अमिय अपरिमित जी भर लो लो अब हिंदी के देश में..

सुनो 'सलिल' दोहा, चौपाई, छंद सहस्त्रों रच झूमो.
पाप परायेपन के धो लो अब हिंदी के देश में..
*****
Acharya Sanjiv Salil

Views: 577

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by mohinichordia on September 18, 2011 at 2:57pm

नव  शब्दों  कीफसलें बो लो....हिंदी हमारी मात् भाषा को ऊँचा उठाने के लिए साधुवाद संजीव सलिल जी 

Comment by सुनीता शानू on September 17, 2011 at 12:26pm

आदरणीय संजीव जी मै पहले भी कई बार आपको पढ़ चुकी हूँ शायद ई कविता ग्रुप पर भी आपको पढ़ा था। आपका लेखन हमेशा ही जबरदस्त रहा है।

मत सँकुचाओ जितनी आती, उतनी तो हिंदी बोलो.
नव शब्दों की फसलें बो लो अब हिंदी के देश में..

सादर-नमस्कार।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 14, 2011 at 10:35pm

हिंदी दिवस के उपलक्ष्य पर हिंदी को सम्मानित करती इस रचना हेतु आचार्यजी सादर अभिनन्दन.

 

वैसे, हम गलत या सही, जिस जीवन-शैली को जी रहे हैं, उसकी भी अपनी मांग है. उन मांगों पर ध्यान न देना असहज भी तो है. चाहे कोई कितना ही नकारे आज का समय आज के संदर्भ में ही हो.

मेरा आशय निम्नलिखित पंक्तियों से है -

ममी-डैड का पीछा छोड़ो, पाँव पड़ो माँ-बापू के...
शू तज पहन पन्हैया डोलो, अब हिंदी के देश में .. 

 

सादर.. .


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 14, 2011 at 8:51pm

आचार्य जी, काश यह देश हिंदी का देश बन पाता, तो हम हिंदी दिवस रोज मनाते, हालाकि हम लोग तो सभी सरकारी संचिका आदि हिंदी में ही निस्तारित करते है, जिससे सर्वोच्च स्थान पर बैठे प्रधान सचिव स्तर के पदाधिकारी भी संचिका पर हिंदी में ही लिखते है और आदेश इत्यादि भी हिंदी में ही निर्गत होते है |

बहुत ही खुबसूरत मुक्तिका की प्रस्तुति है बहुत बहुत आभार |    

Comment by siyasachdev on September 14, 2011 at 6:19pm

हम आपके इस हिंदी प्रेम से अभिभूत है ..विश्व हिंदी दिवस पर यह संकल्प लीजिये
अपनी मात्रभाषा हिंदी को नव जीवन देगे

Comment by Abhinav Arun on September 14, 2011 at 4:08pm
हिंदी दिवस के बहाने यह रचना बहुत सारी विडम्बनाओं पर आक्षेप करती है !! सार्थक सशक्त !!! सादर नमन % 
Comment by आशीष यादव on September 14, 2011 at 2:29pm

आदरणीय आचार्य जी,
आज हमें हिंदी में सक्रिय होना ही चाहिए|
आपने हिंदी अपनाने हेतु सुन्दर वचन लिखा है|
नमन है आपको|

Comment by Brij bhushan choubey on September 14, 2011 at 12:06pm

अजब अनुभूति होती है आपकी रचनाये पढ़कर बbloger  पर  niymit  रूप से इनका आनंद लेता हू

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाई "
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी and Mayank Kumar Dwivedi are now friends
5 hours ago
Mayank Kumar Dwivedi left a comment for Mayank Kumar Dwivedi
"Ok"
yesterday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
Mar 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
Mar 31
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आपका हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।"
Mar 31
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Mar 31
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
Mar 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
Mar 30
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Mar 29
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Mar 29

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service