न कोई गिला, न कोई शिकवा,
उनसे न मिलना भी है एक सजा;
न मिले हम उनसे तो दिल डूबा रहता है उनकी यादो में,
मिले अगर हम उनसे तो दिल डूबा रहता है अरमानो में;
डरते हैं हम कि कहीं हम बह न जाएँ इन अरमानो में,
कहीं रह न जाये बस वो मेरे खयालो में;
मेरी जिंदगी में बस यही कशमकश है,
और बस यही मेरी जिंदगी की उलझन है;
जितना उनको खोना है मुश्किल,
उतना उनको पाना भी है मुश्किल;
अपने मजबूरे दिल का हाल बयान करूँ मैं किससे,
जो हैं मेरे अपने डरता भी तो हूँ मैं उनसे;
जिंदगी के इस दौर को मैं पार करूँ मैं कैसे,
उलझन जो है मेरे मन में उनको हल करू मैं कैसे;
Comment
जितना उनको खोना है मुश्किल,
उतना उनको पाना भी है मुश्किल;
कोशिश ही सफलता की कुंजी है मिश्राजी, अच्छी रचना है, दाद कबूल करें
स्मृत मिश्रा जी अच्छा प्रयास है, रचना को कुछ और कसने की जरुरत है ताकि compact effect दे | बधाई स्वीकार करे |
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