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बालदिवस पर चन्द दोहे ......

बालदिवस पर चन्द दोहे :. . . .

बाल दिवस का बचपना, क्या जाने अब अर्थ ।
अर्थ चक्र में पीसते, बचपन चन्द समर्थ ।।

बाल दिवस से बेखबर, भोलेपन से दूर ।
बना रहे कुछ भेड़िये , बच्चों को मजदूर ।।

भाषण में शिक्षा मिले, भाषण ही दे प्यार ।
बालदिवस पर बाँटते, नेता प्यार -दुलार ।।

फुटपाथों पर देखिए, बच्चों का संसार ।
दो रोटी की चाह में , झोली रहे पसार ।।

गाली की लोरी मिले, लातों के उपहार ।
इनका बचपन खा गया,  अर्थ लिप्त संसार ।।

बाल दिवस पर दीजिए, बच्चों को उपहार ।
शिक्षा से धनवान हों, उचित मिलें संस्कार ।।

बच्चे मिट्टी के घड़े, रखो इन्हें संभाल ।
विश्व धरोहर देश की , भारत के हैं लाल ।।

सुशील सरना / 14-11-22

मौलिक एवं अप्रकाशित 

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Comment by Sushil Sarna on November 17, 2022 at 11:01am
आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on November 16, 2022 at 12:54pm

आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। बाल दिवस पर अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।

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