For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नज़्म (कृषि बिल पर किसानों के शकूक-ओ-शुब्हात)

1222 - 1222 - 1222 - 1222 

ज़मीं होगी तुम्हारी पर फ़सल बेचेंगे यारों हम

मिलेगी तुमको राॅयल्टी न देंगे खेत यारों हम

जो बोएगा वही काटेगा ये बातें पुरानी हैं

फ़सल तय्यार करना तुम मगर काटेंगे यारों हम

ये जोड़ी अब तुम्हारी और हमारी ख़ूब चमकेगी

करो मज़दूरी तुम डटकर करें व्यापार यारों हम 

ज़मीं पर बस हमारी ही हुकूमत होगी अब प्यारो 

मईशत 'उनके' हाथों में न जाने देंगे यारों हम 

रखेंगे हम ज़ख़ीरा कर ज़मीं उगलेगी जो सोना

किसी का बस न कुछ होगा कि ख़ुद-मुख़्तार यारों हम 

''मौलिक व अप्रकाशित'' 

Views: 1096

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Chetan Prakash on January 31, 2021 at 7:57pm

 'अमीर' साहब,  टंकण त्रुटि  हुई  है, मेरे कहे शेर  को कुछ  यूँ पढ़े "कि सोते हैं वो अफवाहों डराए हार है उनको / 

गिराकर जोश जनता ज़ह्न वो शातिर जताते हैं !

Comment by Chetan Prakash on January 31, 2021 at 11:19am

 आदाब , अमीर साहब ! क्षमा करें नज़्म एक तार्किक वि श्लेषण होना चाहिए, न कि अधारहीन वक्ततव्य । किसी विषय विशेष पर एक सारगर्भित सोच की अभिव्यक्ति नज़्म का प्राण तत्व होता है, मोहतरम अमीरुद्दीन अमीर साहब !

अगर मैं इस इस विषय पर ये कहूं , कि सोते हैं वो अफ़वाहों जगाए है उनको अभी

डर है, 

गिराकर जोश जनता ज़हन  वो शातिर जताते हैं ! साभार !

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on January 29, 2021 at 11:45pm

जनाब कृष मिश्रा 'जान' गोरखपुरी साहिब आदाब, इस रचना में क़ाफ़िया नहीं है, दरअस्ल ये नज़्म है, टाईटल में ग़लती से ग़ज़ल टाईप हो गया है जिसे एडिट कर दिया गया है। संज्ञान लेने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया। सादर। 

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on January 29, 2021 at 7:31pm

आ. अमीरुद्दीन सर , इस ग़ज़ल में काफिया क्या है मैं समझ नहीं पा रहा कृपया बताने का कष्ट करें।सादर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
16 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
19 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय…"
20 hours ago
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"जिन स्वार्थी, निरंकुश, हिंस्र पलों का यह कविता विवेचना करती है, वे पल नैराश्य के निम्नतम स्तर पर…"
Monday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
Jul 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Jul 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Jul 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service