For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

212 212 212 212

मेरा आँगन गुँजाती है नन्ही परी ।
पंछी बन चहचहाती है नन्ही परी ।

उसकी मुस्कान से फूल सारे खिले
हँस के गुलशन सजाती है नन्ही परी ।

पंखुड़ी सी नज़ाकत को ओढ़े हुए
मेरा मन गुदगुदाती है नन्ही परी ।

सुबह की गुनगुनी धूप जैसी निखर
पूरा घर जगमगाती है नन्ही परी ।

अपनी आँखों में झिलमिल सितारे लिए
स्वप्न अनगिन जगाती है नन्ही परी ।

बाँसुरी की मधुर तान सी लोरियाँ
मेरे होठों पे लाती है नन्ही परी ।

मिसरी जैसी सुना तोतली बोलियाँ
मन में घुल-घुल सी जाती है नन्ही परी ।

मेरे जीवन की है सबसे सच्ची दुआ
आरती सी सुहाती है नन्ही परी।

थाम आँचल मेरा, हौसला हर बड़ा
मुझको जीना सिखाती है नन्ही परी ।

मौलिक और अप्रकाशित

Views: 685

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by kanta roy on February 17, 2016 at 11:29am
थाम आँचल मेरा, हौसला हर बड़ा
मुझको जीना सिखाती है नन्ही परी ।
-----वाह ! क्या बात है ! बेहतरीन है ये मीठी सी गजल ,ढेरों बधाई इस अनुपम भाव भरे गजल के लिये आदरणीया प्राची जी ।

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on February 16, 2016 at 7:53pm
ओह! फिर एक अबूझ सुडोकू, कि ये ग़ज़ल क्यों नहीं हो सकती?
शायद बहुत रिसर्च बाकी है अभी, जिसे अब करना ही पड़ेगा खुद।
सादर

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 16, 2016 at 5:24pm

प्रस्तुति ग़ज़ल तो नहीं एक अच्छी कविता अवश्य है. ऐसा इसलिए कह रहा हूँ, कि, ग़ज़ल की पंक्तियों के माध्यम से उक्ति-विस्फोट का संभाव्य अवश्य बना रहता है. यही ग़ज़ल के शेरों को ’ग़ज़ल केशेर’ बनाता है. अन्यथा सामान्य रचनाओं की पंक्तियों के बाबहर होने के बावज़ूद ग़ज़ल नहीं हो पाती. किन्तु, यह भी उतना ही सही है कि बहर आदि पर अभ्यास केलिए ऐसी रचनाओं का होना अत्यंतावश्यक है. और ऐसी रचनाओं के माध्यम से ही एक ग़ज़ल और एक सामान्य रचना का अंतर स्पष्ट हो पाता है.

शुभेच्छाएँ

 

Comment by नादिर ख़ान on February 16, 2016 at 4:18pm

आदरणीया प्राची जी आपकी रचना ने हमारी  बड़ी हो रही बच्ची के,  बचपन के दिन याद करा दिये  बहुत बधाई आपको .. 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 16, 2016 at 12:32pm

लाजवाब  भावों  से सजी सुंदर  गजल  | हार्दिक  बधाई  डॉ प्राची जी 

थाम आँचल सदा ही ख़ुशी  वो रहे

खिलखिलाती रहे रोज नन्ही पारी |

Comment by Shyam Narain Verma on February 15, 2016 at 2:34pm
बहुत ही बढ़िया ग़ज़ल ....हार्दिक बधाई ! 
Comment by TEJ VEER SINGH on February 15, 2016 at 1:30pm

 हार्दिक बधाई आदरणीय डॉ प्राची सिंह जी!बेहतरीन  रचना!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service