For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तरही ग़ज़ल नं-3 "मुसहफ़ी" की ज़मीन में

मफ़ाईलुन मफ़ाईलुन मफ़ाईलुन मफ़ाईलुन

बयाँ कैसे करूँ क्या उसकी अंगड़ाई का आलम था
तसव्वुर में न आए ऐसा ज़ैबाई का आलम था

बस इक नुक्ते प आकर रुक गई थी ज़िन्दगी मेरी
न वो वहशत का आलम था न दानाई का आलम था

कोई सुनता भी कैसे एक शाइर की सदा भाई
वतन में हर तरफ़ हंगामा आराई का आलम था

अँधेरे में गिरी सुई भी हम तो ढूँढ लेते थे
जवानी में तो कुछ ऐसा ही बीनाई का आलम था

ग़ज़ल कहने का मौक़ा ख़ूब हम को मिल गया यारों
नहीं था घर में कोई सिर्फ़ तन्हाई का आलम था

पस-ए-मुर्दन दर-ओ-दीवार घर के सब सुना देंगे
कि तेरे हिज्र में क्या तेरे सौदाई का आलम था

जिसे हम शाइरी कहते हैं मुश्किक से मिली हम को
"समर" दुनियाए फ़न में भी तो मंहगाई का आलम था
-------

ज़ैबाई :- ख़ूबसूरती
तसव्वुर :- ख़याल
नुक्ता :-पॉइंट
वहशत :- दीवानगी
दानाई :- अक़्लमंदी
बीनाई :- देखने की शक्ति
पस-ए-मुर्दन :- मरने के बाद
हिज्र :- विरह
सौदाई :- दीवाना

"समर कबीर"
मौलिक/अप्रकाशित

Views: 721

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on October 23, 2015 at 11:36pm
जनाब मिथिलेश वामनकर जी,आदाब,आजकल मेरी ज़हनी हालत कुछ ठीक नहीं है इसी वजह से ये टंकण त्रुटि हो गई,आपने जब मिसरे की तक़्तीअ की तब बात समझ में आई,आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on October 22, 2015 at 11:24pm

आदरणीय समर कबीर जी, पुनः मार्गदर्शन निवेदित है 

आपका मिसरा है- 

अँधेरे में/ गिरी सुई /भी हम तो ढूँ / ढ लेते थे

1222/ 1212/1222/1222

इसलिए मुझे लगा कि मिसरा इस तरह होगा -

अँधेरे में/ गिरी सूई /भी हम तो ढूँ / ढ लेते थे

1222/ 1222/1222/1222

किन्तु अब आपने लिखा है कि 

//ये टंकण त्रुटि नहीं है//

मैं बात समझ नहीं पा रहा हूँ अतः मार्गदर्शन निवेदित है.

सादर 

Comment by Samar kabeer on October 22, 2015 at 11:03pm
मोहतरमा कांता रॉय जी,आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
Comment by Samar kabeer on October 22, 2015 at 11:02pm
जनाब रवि शुक्ल जी,आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
Comment by Samar kabeer on October 22, 2015 at 11:01pm
जनाब मिथिलेश वामनकर जी,आदाब,ये टंकण त्रुटि नहीं है,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
Comment by Samar kabeer on October 22, 2015 at 10:59pm
आली जनाब डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी,आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ।
Comment by Samar kabeer on October 22, 2015 at 10:57pm
जनाब जय प्रकाश मिश्रा जी,आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
Comment by kanta roy on October 22, 2015 at 7:24am
वाह !!!! क्या आलम की बात हुई है !!!!! बधाई आपको इस शानदार गजल के लिये आदरणीय समर कबीर जी ।
Comment by Ravi Shukla on October 19, 2015 at 1:47pm

आदरणीय समर कबीर साहब  बहुत सुन्‍दर ग़ज़ल पेश करी आपने शेर दर शेर दाद कुबूल करें 

ये शेर हमें बहुत अच्‍छा लगा

ग़ज़ल कहने का मौक़ा ख़ूब हम को मिल गया यारों
नहीं था घर में कोई सिर्फ़ तन्हाई का आलम था   । सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on October 19, 2015 at 1:47am

आदरणीय समर कबीर जी बहुत बेहतरीन ग़ज़ल हुई है शेर दर शेर दाद हाज़िर है 

सुई----सूई संभवतः टंकण त्रुटी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted blog posts
11 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम्. . . . . गुरु
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । विलम्ब के लिए क्षमा "
16 hours ago
सतविन्द्र कुमार राणा commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"जय हो, बेहतरीन ग़ज़ल कहने के लिए सादर बधाई आदरणीय मिथिलेश जी। "
20 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"ओबीओ के मंच से सम्बद्ध सभी सदस्यों को दीपोत्सव की हार्दिक बधाइयाँ  छंदोत्सव के अंक 172 में…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, जी ! समय के साथ त्यौहारों के मनाने का तरीका बदलता गया है. प्रस्तुत सरसी…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह वाह ..  प्रत्येक बंद सोद्देश्य .. आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, आपकी रचना के बंद सामाजिकता के…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाई साहब, आपकी दूसरी प्रस्तुति पहली से अधिक जमीनी, अधिक व्यावहारिक है. पर्वो-त्यौहारों…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी  हार्दिक धन्यवाद आभार आपका। आपकी सार्थक टिप्पणी से हमारा उत्साहवर्धन …"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी छंद पर उपस्तिथि उत्साहवर्धन और मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार। दीपोत्सव की…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय  अखिलेश कॄष्ण भाई, आयोजन में आपकी भागीदारी का धन्यवाद  हर बरस हर नगर में होता,…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी छन्द पर उपस्तिथि और सराहना के लिए हार्दिक आभार आपका। दीपोत्सव की हार्दिक…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी हार्दिक बधाई इस प्रस्तुति के लिए ।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service