For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"बाऊजी ! बच्चों के इम्तहान शुरू हो रहे हैं ।आपकी बहू चाहती थी , बेहतर होता अगर आप कुछ रोज़ भाईसाहब के यहाँ हो आते ।"
" पर बेटा ! अभी तो समय पूर्ण होने में दो माह बाकी हैं ।"
" वो तो ठीक है , पर आप तो जानते हैं , घर में एक ही अतिरिक्त कमरा है , वो भी ......।"
" कबाड़ी वाला ....कबाड़ी ....। बाऊजी ! कुछ कबाड़ है क्या ? "
"हाँ है तो.... शायद तुम्हारे बाजार में भी इसका कोई मोल न होगा...।"
मौलिक व अप्रकाशित ।

Views: 973

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Archana Tripathi on June 15, 2015 at 2:04am
वृद्ध जनो की उपेक्षा दर्शाती खूबसूरत लघु कथा।
बधाई शशि बंसल जी
Comment by shashi bansal goyal on June 14, 2015 at 11:31pm
हार्दिक आभार एवं धन्यवाद आद0 कृष्ण मिश्रा जी ।
Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on June 14, 2015 at 8:38pm

सुन्दर लघुकथा हुयी है आ० शशि बंशल जी बधाई!

Comment by shashi bansal goyal on June 13, 2015 at 12:51pm
हार्दिक आभार एवं धन्यवाद आदरणीय वीरेंदर वीर मेहता जी ।
Comment by VIRENDER VEER MEHTA on June 13, 2015 at 12:41pm

बहुत सुन्दर लघुकथा! सादर बधाई स्वीकार करे  आदरणीया शशि बंसल जी | 

Comment by shashi bansal goyal on June 12, 2015 at 9:37am
हार्दिक आभार कांता जी ।
Comment by shashi bansal goyal on June 12, 2015 at 9:36am
हार्दिक आभार आद0 राजेश कुमारी जी ।
Comment by shashi bansal goyal on June 12, 2015 at 9:35am
आदरणीय विनय जी व आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी रचना में सुधार किया है कृपया दोबारा दृष्टिपात करिये और मार्गदर्शन करिये ।सादर ।
Comment by kanta roy on June 11, 2015 at 11:23pm
हाँ , शशि जी आखिरी पंक्ति में इतनी उम्दा आकर बहक सी गई है । वैसे बहुत ही उम्दा लेखन हुआ है यह भी आपका
। बधाई आपको

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 11, 2015 at 11:22pm

अच्छी लघु कथा हुई शशि जी ,बहुत- बहुत बधाई. 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"जी, सादर आभार।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आ. रिचा जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
3 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"जी सहृदय शुक्रिया आदरणीय इस मंच के और अहम नियम से अवगत कराने के लिए"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी बहुत बढ़िया ग़ज़ल कही है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"मेरे कहे को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आपका सुधार श्लाघनीय है। सादर"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"मेरे कहे को मान देने के लिए हार्दिक आभार। सादर"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"मेरे कहे को मान देने के लिए हार्दिक आभार। सादर"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय"
7 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service