For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पछतावा (लघुकथा )

"बाबा आप अकेले यहाँ क्यों बैठे हैं, चलिए आपको आपके घर छोड़ दूँ | "
बुजुर्ग बोले:

"बेटा जुग जुग जियो तुम्हारे माँ -बाप का समय बड़ा अच्छा जायेगा | और तुम्हारा समय तो बड़ा सुखमय होगा |"
"आप ज्योतिषी हैं क्या बाबा |"
हंसते हुय बाबा बोले - "समय ज्योतिषी बना देता हैं | गैरों के लिय जो इतनी चिंता रखे वह संस्कारी व्यक्ति दुखित कभी नही होता | " आशीष में दोनों हाथ उठ गये |
"मतलब बाबा ? मैं समझा नहीं | "
"मतलब बेटा मेरा समय आ गया | अपने माँ बाप के समय में मैं समझा नहीं कि मेरा भी एक न एक दिन तो यही समय आएगा | समझा होता तो ये समय ना आता |" नजरे धरती पर गड़ा दी कह | 

.

सविता मिश्रा
"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 701

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by annapurna bajpai on May 15, 2015 at 7:02pm

सही संदेश देती लघु कथा बधाई आपको 

Comment by aman kumar on May 15, 2015 at 10:26am

समसामयिक समस्या पर आधारित लेखन ही सच्चे अर्थ मे लेखन होता है आप धन्य है !


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on May 15, 2015 at 2:41am

कल आज और कल में विचरती सुन्दर सन्देश देती सफल लघुकथा 

समय सब सिखा देता है. समय रहते न चेते तो हाथ रह जाता है सिर्फ पछतावा 

बहुत बधाई इस प्रस्तुति पर आदरणीया सविता जी 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 15, 2015 at 12:09am

सच कहा..समय ही है जो सब कुछ सिखा देता है. बहुत बढ़िया सन्देश, आदरणीया सविता जी. हार्दिक बधाई

Comment by savitamishra on May 14, 2015 at 10:48pm

सादर आभार आपका पाण्डेय भैया

Comment by Shubhranshu Pandey on May 14, 2015 at 9:58pm

आदरणीया सविता जी, सुन्दर कथा.

भविष्य के द्वार भूतकाल के गर्त में होते हैं. समझ आते आते वर्तमान खिसकता जाता है और हम अपने आप को कोसने के अलावे ज्यादा नहीं कर सकते और दूसरो को सुधरने की  सलाह भर देते हैं..

सादर.

Comment by savitamishra on May 14, 2015 at 9:33pm

आभार आप सभी का

Comment by kanta roy on May 14, 2015 at 4:49pm
बहुत सुंदर रचना आदरणीया सविता जी .... सार्थक लघुकथा के लिए बधाई स्वीकार करें
Comment by SHARAD SINGH "VINOD" on May 14, 2015 at 3:53pm

सविता जी! भारतीय नैतिक मूल्यों को पुष्ट करने वाली रचना के लिये सहृदय बधाई... सादर!!

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on May 14, 2015 at 1:46pm

''समय ज्योतिषी बना देता हैं''  सुन्दर लघुकथा हार्दिक बधाई आदरणीया सविता मिश्रा जी!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

anwar suhail updated their profile
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Friday
ajay sharma shared a profile on Facebook
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
Nov 30
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service