For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कुछ नक्शा बदला है \ माहिया, क़िस्त-तीन (मिथिलेश वामनकर)

मेरा मन दरपन है।

देखी छब तेरी,

आँखों में सावन है।

 

वो पागल लडकी है।

ऐसी बिछडन में.

वो कितना हँसती है।

 

क्यूँ उलटा चलते हो।

वक़्त सरीखे तुम,

हाथों से फिसलते हो।

 

जब शाम पिघलती है।

ऐसे आलम में,

क्यूं रात मचलती है।

 

सूरज को मत देखों ।

उसका क्या होगा,

चाहे पत्थर फेंकों ।

 

सूरज ने पाला है।

हँसता रातों में,

ये चाँद निराला है।

 

तारें  भी डरते है।

सूरज काला है,

छिप-छिप के विचरते है।

 

ये कौन बुलाता है।

भीतर ही भीतर.

मन हाथ हिलाता है।

 

मन पतझड़ जैसा है।

रस्तों में पत्ते,

फिर रस्ता भूला है ।

 

बरसों में  लौटा  हैं।

दिल भी बदलें है,

कुछ नक्शा बदला है।

 

ना आज महकता है।

खुशबू सनकी है,

ये फूल दहकता है ।

 

छब मेरी लाड़ो की।

याद करे दिल तो,

वो ओट किवाड़ो की ।

 

गम एक  खिलाड़ी  है।

खुशियाँ क्या जाने,

दिल एक  अनाड़ी  है।

 

पलभर जी जाने दो।

मेरी साँसों का,

बस क़र्ज़ चुकाने दो।

 

यूं शब भर मत गाओ।

थक जाओगे तुम,

तारों अब सो जाओ।

 

 

-------------------------------------------------------

(मौलिक व अप्रकाशित)  - मिथिलेश वामनकर 

-------------------------------------------------------

 

माहिया

22-22-22  - फैलुन-फैलुन-फैलुन 

22-22-2    - फैलुन-फैलुन-फ़ा

22-22-22  - फैलुन-फैलुन-फैलुन

Views: 1133

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by somesh kumar on December 23, 2014 at 10:05am

मन ये  भटकता है 

बंद कमरा है 

खिड़की तो खोलो 

मैंने कुछ लिखा है 

टूटा-फूटा है 

तुम इसको संवारों ना 

एक कोशिश की है 

बहती नदी है 

तुम राह बता देना 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 23, 2014 at 9:18am

आदरणीय मिथिलेश भाई , बहुत खूब , बेहतरीन माहिया के लिये बधाई । मुझे लगता है माहिया का विधान विस्तार से छन्द विधान जैसे उसी स्थान मे पोस्ट कर देनी चाहिये , ता कि अन्य रचना कार भी लाभ ले सकें ।

आदरणीय माहिया में -- 22 को 121 , 112 ,  211  करने की छूट है क्या ? क्यों गेयता साधने के लिये मुझे ये आवश्यक लगता है


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 23, 2014 at 12:48am

दिल मेरा जुड़वा दो  

तेरे नखरों  पे 

अब दिल ना तुड़वा दो  ... केवल मात्राओं के लिए पहले और तीसरे मिसरे को हमकाफिया रखना है दुसरे में 2 मात्रा कम 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 23, 2014 at 12:45am

तुम छोड़ नहीं देना / 22-22-22 

आज अदाओं से    /  22-22-2 

दिल तोड़ नहीं देना/  22-22-22 

Comment by somesh kumar on December 23, 2014 at 12:12am

दिल मेरा जुड़ता है 

ऐसी  अदाओ पे 

दिल तोड़ ना देना 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 22, 2014 at 11:20pm

आदरणीय  yogendra singh जी आपका बहुत बहुत धन्यवाद, आभार 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 22, 2014 at 11:19pm

आदरणीय  gumnaam pithoragarhi सर आपको इस प्रयास में कुछ सार्थक लगा, मेरे लिए उत्साह वर्धक और प्रेरणास्प्रद है आपका हार्दिक धन्यवाद 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 22, 2014 at 11:17pm

आदरणीय  शिज्जु "शकूर"   सर आपको प्रयास में समर्पण दिखाई दिया, मेरा लिखना सार्थक हो गया, इस उत्साहवर्धक टिप्पणी के लिए बहुत बहुत आभार, हार्दिक धन्यवाद.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 22, 2014 at 11:15pm

आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव  सर आपको प्रयास पसंद आया, लिखना सार्थक हुआ, इस आत्मीय प्रशंसा के लिए ह्रदय से बहुत बहुत आभारी हूँ.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 22, 2014 at 11:13pm

आदरणीय  Hari Prakash Dubey जी आपको रचना पसंद आई, बहुत बहुत आभार, धन्यवाद 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
" पर्यावरण की इस प्रकट विभीषिका के रूप और मनुष्यों की स्वार्थ परक नजरंदाजी पर बहुत महीन अशआर…"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"दोहा सप्तक में लिखा, त्रस्त प्रकृति का हाल वाह- वाह 'कल्याण' जी, अद्भुत किया…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीया प्राची दीदी जी, रचना के मर्म तक पहुंचकर उसे अनुमोदित करने के लिए आपका हार्दिक आभार। बहुत…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी इस प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद। सादर"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बहुत बहुत धन्यवाद आपका मेरे प्रयास को मान देने के लिए। सादर"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"वाह एक से बढ़कर एक बोनस शेर। वाह।"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"छंद प्रवाह के लिए बहुत बढ़िया सुझाव।"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"मानव के अत्यधिक उपभोगवादी रवैये के चलते संसाधनों के बेहिसाब दोहन ने जलवायु असंतुलन की भीषण स्थिति…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
" जलवायु असंतुलन के दोषी हम सभी हैं... बढ़ते सीओटू लेवल, ओजोन परत में छेद, जंगलों का कटान,…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आग लगी है व्योम में, कहते कवि 'कल्याण' चहुँ दिशि बस अंगार हैं, किस विधि पाएं त्राण,किस…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"भाई लक्षमण जी एक अरसे बाद आपकी रचना पर आना हुआ और मन मुग्ध हो गया पर्यावरण के क्षरण पर…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"अभिवादन सादर।"
4 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service