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(गीतिका छंद)

14-14 मात्राए 


खुद पर तो विश्वास करे
अपना स्वयं विकास करे |

कुदरत से खिलवाड करे,
मेघ बरस कर नाश करे |

पर्यावरण का ध्यान धरे,
तब कुदरत से आस करे |

सभी वृक्ष भी जीव धरे
पक्षी जहां प्रवास करें |

मन से हम संकल्प करे
सब में हम विश्वास करे |

दुखिया से कभी पूछ्ले
काहे सदा उदास रहे |

उनसे हम क्या बात करे
आये दिन बकवास करे |

शाश्वत प्रेम सदैव रहे
अपनों पर विश्वास करे

जब तक बाती तेल रहे,
दीपक सदा प्रकाश करे |
(मौलिक व अप्रकाशित)
-लक्ष्मण रामानुज लडीवाला

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Comment by Dr. Vijai Shanker on November 3, 2014 at 7:27pm

सभी वृक्ष भी जीव धरे
पक्षी जहां प्रवास करें |
सुन्दर एवं प्रभावी रचना , आदरणीय लक्ष्मण लडीवाला जी , बधाई।


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on November 3, 2014 at 3:08pm

गीतिका छंद के भाव निस्संदेह बढ़िया और संदेशपरक हैं आ० लक्षमण रामानुज जी, अब ज़रा कथन भी पुख्ता हो जाए तो बात ही बन जाये।

कृपया ध्यान दे...

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