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बीबी जी, आप नौकरी क्यों करते हो ? आपके पास तो पैसे की कोई कमी नहीं है |"
"पैसा ही सब नहीं होता रे जिंदगी में, आखिर इतनी पढ़ाई लिखाई कब काम आएगी" मैंने अपनी काम वाली बाई को समझाते हुए कहा.
अभी कुछ दिन पहले ही जब उसने तनख्वाह बढ़ाने की प्रार्थना की थी मैंने बड़े ही कठोर लहजे में मना कर दिया था | आज शायद पढ़ाई लिखाई का महत्त्व बाई की समझ में आ गया था |

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

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Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 6, 2014 at 11:28am

पढ़े पर गुणे नहीं तो क्या लाभ, पढ़ाई लिखाई व्यवहार में या काम-काज में काम भी आणि चाहिए, इसे समझाने के साथ ही

पढ़ाई का महत्व कामवाली बाई को समझाने में सफल रही है लघु कहानी | हार्दिक बधाई श्री विनय कुमार सिंह जी  

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 6, 2014 at 11:02am

बहुत ही बढ़िया लघुकथा, बधाई आदरणीय विनय जी. सच है पढाई-लिखाई का अपना एक महत्त्व होता है चाहे आप कोई भी काम करते हों

Comment by विनय कुमार on July 5, 2014 at 11:53pm

धन्यवाद योगिराजजी और केवलजी , कुछ लिखने का प्रयास है बस | 

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on July 5, 2014 at 9:44pm

आ0 विनय भाईजी, वाह! वाकई में आपने पढाई लिखाई की सुन्दर परिभाषा से रेखांकित किया है। बधाई स्वीकारें । सादर,


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on July 5, 2014 at 1:04pm

वाह !! क्या सधी हुई लघुकथा कही है आ० विनय कुमार सिंह जी. काम वाली बाई को पढ़ाई लिखाई का मतलब समझ आने की बात बहुत कुछ कहती है. उसने क्या मतलब निकाला इसका निर्णय पाठक के विवेक पर छोड़ दिया गया है। लघुकथा कथ्य और शिल्प पर की दृष्टि से कामयाब है, जिसके लिए आपको सादर बधाई प्रेषित है.

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