For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दंश (लघुकथा) रवि प्रभाकर

“बहन ! आज मुझे काम से लौटने में देर हो जाएगी, तब तक तुम मुन्नी को अपने पास ही रखना।" उस विधवा ने हाथ जोड़ते हुए अपनी पड़ोसन से आग्रह किया।
“पर अब तो तेरा देवर भी गाँव से आया हुआ है, तो फिर.....।”
”इसीलिए तो तुम्हारे पास छोड़ रही हूँ."

Views: 836

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by coontee mukerji on June 26, 2014 at 10:22pm

इस छोटी सी कथा ने बहुत कुछ कह दिया......सादर.

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on June 26, 2014 at 11:20am

आ० रवि प्रभाकर जी , इस लघु कथा के विषय में जितना कहें उतना कम है l अत्यधिक संस्कारहीन हो चुके मानव में हवस के लिए रिश्तों की मानमर्यादा और पवित्रता का शून्य होता भाव आपने जिसप्रकार न्यूनतम शब्दों में आपने उकेरा है, उसकी प्रशंसा के लिए शब्दों की कमी पड़ गयी है l  इस सारगर्भित प्रस्तुति पर कोटि  कोटि  बधाई l   


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on June 26, 2014 at 11:04am

इस लघुकथा का दंश बहुत तीखा और गहरा  है जो किसी भी संवेदनशील पाठक को सन्न और सुन्न करने में सक्षम है. मेरी दृष्टि में यह एक सफल लघुकथा है जोकि इस विधा के मानकों को पूर्णतय: संतुष्ट करती प्रतीत होती है. इस सारगर्भित प्रस्तुति पर मेरी हार्दिक बधाई प्रेषित है.

Comment by annapurna bajpai on June 25, 2014 at 5:42pm

थोड़े मे बहुत कुछ कह दिया आपने ,  अच्छी लघु कथा हेतु बधाई । 

Comment by Shubhranshu Pandey on June 25, 2014 at 1:54pm

एक विधवा ने अपनी मुन्नी के सम्मान को बचाना सीख लिया..

सुन्दर कथा...

सादर.

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on June 25, 2014 at 12:26pm

बहुत बढ़िया लघुकथा, सच! आज के समय में किससे बचा जाय. बहुत बहुत बधाई आदरणीय रवि जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 24, 2014 at 5:15pm

रिश्तों का घ्रणित चेहरा ......

Comment by Savitri Rathore on June 24, 2014 at 4:55pm

वर्तमान हालात पर कटाक्ष करती मर्मस्पर्शी रचना !

Comment by Meena Pathak on June 24, 2014 at 3:04pm

ओह !!

क्या कहूँ ..बहुत कुछ कह दिया आप ने अपनी लघुकथा के माध्यम से .. किस तरह से हर रिश्ते से भरोसा उठ गया है आज .....बहुत सटीक और सार्थक लघुकथा ...बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion गीतिका छंद in the group भारतीय छंद विधान
"राम बोलो श्याम बोलो छंद होगा गीतिका। शैव बोलो शक्ति बोलो छंद ऐसी रीति का।। लोग बोलें आप बोलें छंद…"
12 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion कुण्डलिया छंद : मूलभूत नियम in the group भारतीय छंद विधान
"दोहे के दो पद लिए, रोला के पद चार। कुंडलिया का छंद तब, पाता है आकार। पाता है आकार, छंद शब्दों में…"
49 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion चौपाई : मूलभूत नियम in the group भारतीय छंद विधान
"सोलह सोलह भार जमाते ।चौपाई का छंद बनाते।। त्रिकल त्रिकल का जोड़ मिलाते। दो कल चौकाल साथ बिठाते।। दो…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion रोला छंद : मूलभूत नियम in the group भारतीय छंद विधान
"आदरणीय सौरभ सर, रोला छंद विधान से एक बार फिर साक्षात्कार कर रहा हूं। पढ़कर रिवीजन हो गया। दोहा…"
2 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

कुंडलिया छंद

आग लगी आकाश में,  उबल रहा संसार।त्राहि-त्राहि चहुँ ओर है, बरस रहे अंगार।।बरस रहे अंगार, धरा ये तपती…See More
22 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सीमा के हर कपाट को - (गजल)-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

२२१/२१२१/१२२१/२१२कानों से  देख  दुनिया  को  चुप्पी से बोलना आँखों को किसने सीखा है दिल से…See More
22 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीया प्राची दीदी जी, आपको नज़्म पसंद आई, जानकर खुशी हुई। इस प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी, आपके प्रत्युत्तर की प्रतीक्षा में हैं। "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आभार "
yesterday

मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय, यह द्वितीय प्रस्तुति भी बहुत अच्छी लगी, बधाई आपको ।"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service