For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

“ आज का मैच तो बड़ा रोमांचक है यार, बड़े जबर्दस्त फार्म में  है टीम...”

“अरे हाँ यार!   तेरे घर  तो मैच देखने का आनंद ही अलग है, पर यार ये अन्दर से कराहने की आवाज तेरी मम्मी की आ रही है क्या..?”

“ आने दे यार!  वो तो उनकी रोज की आदत है, बूढी जो हो गई है थोड़ी देर में सो जाएँगी. तू तो मैच देख  मैच”

 

              जितेन्द्र ’गीत’

      ( मौलिक व् अप्रकाशित )

Views: 897

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by vijay nikore on June 19, 2014 at 12:25pm

असंवेदनशीलता कहीं बुढ़ापे के प्रति, कहीं गरीबों के प्रति, कहीं महिलाओं/लड़कियों के प्रति...

यह मानव की मानव के प्रति असंवेदनशीलता हमारे समाज को छलनी कर रही है।

संदेश देती इस लघु कथा के लिय बधाई।

Comment by Shubhranshu Pandey on June 19, 2014 at 9:45am

सुन्दर लघु कथा....बधाई....

//तेरे घर  तो मैच देखने का आनंद ही अलग है, //.... इस आनन्द को एक् दो शब्दों मे विस्तार दे कर कथा को और कसा जा सकता है... सुधिजन विचार दे सकते हैं...

सादर.

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on June 18, 2014 at 10:29pm

आपकी उपस्थिति से रचना धन्य हुई, कुछ भी न कहे आदरणीया मीना दीदी. स्नेह व् आशीर्वाद बनाये रखियेगा

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on June 18, 2014 at 10:26pm

आपकी सराहना से रचना सार्थक हुई आदरणीय जवाहर जी, स्नेह बनाये रखियेगा

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on June 18, 2014 at 10:24pm

आदरणीया राजेश दीदी, आपकी उपस्थिति व् स्नेह हमेशा मुझे संबल देता है.

यह सारी असंवेदनशीलता सिर्फ उन लोगों में होती है जो अपने शौक या सुख में अपनों के दुःख  ही भूल जाए और अपने दुखों में उन्हें भी शामिल कर लेते हों

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on June 18, 2014 at 10:19pm

आप ने बिलकुल सही कहा आदरणीय डा.गोपाल नारायण जी, अपराध तो हर इंसान करता है. आज आप अपने थोड़े से मनोरंजन में उस कराहना को नही सुन पा रहे जो कभी आपकी उफ़ सुनकर अपना जी जान छोड़कर भागता है. फिर तो आप किसी के लिए भी ईमानदार नही हो. आपने रचना को अपना अमूल्य समय दिया रचना धन्य हुई, स्नेह व् आशीर्वाद बनाये रखियेगा

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on June 18, 2014 at 10:11pm

आपके उत्साहवर्धक अनुमोदन हेतु आपका ह्रदय से आभारी हूँ आदरणीय डा.विजय जी,स्नेह बनाये रखियेगा

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on June 18, 2014 at 10:08pm

 जज्बातों को क्या पता कब समझेंगे...? या समझेंगे ही नहीं, यह कोई नही जानता आदरणीय शिज्जू जी, रचना पर आपकी प्रतिक्रिया के लिए आपका ह्रदय से आभार

सादर!

Comment by Meena Pathak on June 18, 2014 at 4:27pm

...................... क्या कहूँ 


Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on June 18, 2014 at 12:45pm

आप सही कह रहीं है आदरणीया कुंती जी, कुछ नही कहा जा सकता क्या होगा..? रचना पर आपकी उपस्थिति से मनोबल मिलता है

आपका ह्रदय से आभारी हूँ

सादर!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
1 hour ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
21 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"गजल**किसी दीप का मन अगर हम गुनेंगेअँधेरों    को   हरने  उजाला …"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई भिथिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर उत्तम रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"दीपोत्सव क्या निश्चित है हार सदा निर्बोध तमस की? दीप जलाकर जीत ज्ञान की हो जाएगी? क्या इतने भर से…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"धन्यवाद आदरणीय "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"ओबीओ लाइव महा उत्सव अंक 179 में स्वागत है।"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"स्वागतम"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service