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दिल के वो बरक़रार हिस्सों में

जिसने तोड़ा हज़ार हिस्सों में

दिल के वो बरक़रार हिस्सों में

 

रोए, मुस्काए, चीखे, झुंझलाए

दिल का निकला ग़ुबार हिस्सों में

 

सबसे बदतर रहा  यह बटवारा

एक परवरदिगार हिस्सों में

 

रूह, कल्बो जिगर व साँसों के

वो अकेला शुमार हिस्सों में

 

हमको तसलीम है करो तकसीम

हाँ मगर शानदार हिस्सों में

 

आप शामिल रहे कहीं ना कहीं

ज़ीस्त के यादगार हिस्सों में

 

मौत साँसों की किश्ते आखिर थी

चुक गया सब उधार हिस्सों में

Asif Amaan

(मौलिक व अप्रकाशित)

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Comment

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Comment by Asif Amaan on May 13, 2014 at 10:18am

Rajesh Kumari Saheba, behad shukriya aapki zarra nawazi ka..


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 13, 2014 at 9:37am

सबसे बदतर मिसाल बंटने की

एक परवरदिगार हिस्सो में---------------वाह्ह्ह्हह बेमिसाल शेर ,जाति,धर्म के नाम ख़ुदा बँटता देखा 

मौत साँसों की किश्ते आखिर थी

चुक गया सब उधार हिस्सो में-----दिल को छू गया ये शेर 

बहुत सुन्दर ग़ज़ल ...दिली दाद कबूलें 

 

Comment by Meena Pathak on May 12, 2014 at 9:49pm

बहुत सुन्दर .. बधाई आप को 

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