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धड़कन [दोहावली]


दिल पर काबू ना रहे मिल जाते जो नैन
धड़कन धड़कन से मिले दिल को मिलता चैन |


दिल की यह मजबूरियाँ समझे कोई ख़ास
धड़कन बढ़ जाती अगर आता है वो पास |


तेरी धड़कन के बिना मेरी भी बेकार
दोनों की मिलती अगर नैया लगती पार |


तेरी धड़कन के सिवा कुछ भी ना अनमोल
सूना है सारा जगत इसका क्या है मोल |


धड़कन से चालू हुआ धड़कन पर सब बंद
मोल समय का जान लो यह इसकी पाबंद |


धड़कन चलती है अगर जीने की हो आस
अपनों का जो साथ हो बढ़ता है विश्वास ||

(मौलिक और अप्रकाशित)

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Comment by JAWAHAR LAL SINGH on May 14, 2014 at 5:48pm

तेरी धड़कन के बिना मेरी भी बेकार 
दोनों की मिलती अगर नैया लगती पार |

सभी दोहे एक से बढ़कर एक हैं ... सादर आदरणीय !

Comment by Sarita Bhatia on May 14, 2014 at 10:02am

जितेन्द्र भाई हौंसला अफसाई के लिए शुक्रिया 

Comment by Sarita Bhatia on May 14, 2014 at 10:01am

मीना जी शुक्रिया 

Comment by Sarita Bhatia on May 14, 2014 at 10:01am

आदरणीय कुंती दीदी आभार 

Comment by Sarita Bhatia on May 14, 2014 at 10:00am

शुक्रिया आदरणीय श्याम जी 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 14, 2014 at 7:29am

धड़कन से चालू हुआ धड़कन पर सब बंद
मोल समय का जान लो यह इसकी पाबंद

बहुत सुंदर दोहावली, मन को छू जाते भाव बधाई स्वीकारें आदरणीया सरिता जी

Comment by Meena Pathak on May 13, 2014 at 10:23pm

बहुत सुन्दर दोहावली ... सादर बधाई 

Comment by coontee mukerji on May 13, 2014 at 4:16pm

सुंदर दोहे जो मन से लिखी गयी है. हार्दिक बधाई.

Comment by Shyam Narain Verma on May 13, 2014 at 2:48pm
यथार्थ भाव रचित सुन्दर और सामयिक दोहे | हार्दिक बधाई ....................

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