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तरही ग़ज़ल -वंदना

मंच पर सभी विद्वजनों से इस्लाह के लिए

२१२२  १२१२  २२१ 

पैरवी मेरी कर न पाई चोट                                                          

पास रहकर रही पराई चोट

फलसफे अनगिनत सिखा ही देगी

असल में करती रहनुमाई चोट

महके चन्दन पिसे भी सिल पर तो

रोता कब है कि मैनें खाई चोट

सब्र का ही तो मिला सिला हमको

सहते रहकर मिली सवाई चोट

तन्हा ढ़ोता है दर्द हर इंसां

क्यूँ तू रिश्ते बढ़ा न पाई  चोट  

रस्म केवल मिज़ाजपुर्सी भी

"जानता कौन है पराई चोट"

उठ ही पाये कभी न मुड़कर देखा

मुस्कुराई कि खिलखिलाई चोट  

 

   संशोधन के पश्चात् 

  वज्न

     2122   1212   22

 

      पैरवी मेरी कर न पाई चोट

      पास रहकर रही पराई चोट

     फलसफे अनगिनत सिखा देगी

    अस्ल में करती रहनुमाई चोट

    महके चन्दन घिसें जो सिल पर तो

    रोता कब है कि मैनें खाई चोट

    सब्र का ही मिला सिला हमको

    सहते रहकर मिली सवाई चोट

    तन्हा ढ़ोता है दर्द हर इंसां

    क्यूँ तू रिश्ते बढ़ा न पाई चोट 

    रस्म केवल मिज़ाजपुर्सी भी

    जानता कौन है पराई चोट

     उठ ही पाये न देख ही पाये 

    मुस्कुराई कि खिलखिलाई चोट 

 

***

 

***

मौलिक एवं अप्रकाशित

****

तरही मिसरा आदरणीय  फ़ानी बदायूँनी साहब की ग़ज़ल से 

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Comment

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Comment by vandana on January 2, 2014 at 11:52am

आदरणीय शिज्जू जी हौसला अफ़जाई के लिए तहे दिल से शुक्रिया

यहाँ टंकण त्रुटि कतई नहीं है मिसरा-ए-उला में  २१२२  १२१२ २२ तथा मिसरा-ए-सानी में  २१२२  १२१२ २२१ है ( मतले को छोड़कर )

इस ग़ज़ल को मैनें  इसी बात पर चर्चा के लिए डाला है कि बहर ली गयी २१२२  १२१२ २२१ और दूसरी जगह  अन्य उदाहरणों में  मैनें पाया कि
 मिसरा-ए-उला में  २१२२  १२१२ २२ तथा मिसरा-ए-सानी में  २१२२  १२१२ २२१ का पालन  किया गया ऐसा कब कब किया जा सकता है ?

आपने भी देखा होगा कि वज्न लिखते समय कुछ जगहों पर  लिखा  जाता है    २१२२  १२१२  २२/२२१ इसी बात को जानना चाहती हूँ 


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Comment by शिज्जु "शकूर" on January 2, 2014 at 10:59am

आदरणीया वंदना जी आपकी ग़ज़ल बेहतर और बेहतर होती जा रही है, लाजवाब ग़जल है हरेक शेर दमदार है।

वंदना जी आपकी ग़ज़ल दरअस्ल बह्र 2122 1212 22 में आ रही है, शायद टंकण त्रुटि हो गई है। किसी भी अरकान के आखिरी में हम एक अतिरिक्त लघु ले सकते हैं यदि वो आखिरी शब्द का हिस्सा हो ये अतिरिक्त लघु लघु ही हो तो मुनासिब होता है न कि दीर्घ को गिरा के लघु किया जाये, हालाँकि ये भी मैंने पढ़ा है ये कोई दोष नही है लेकिन सीखने के शुरुआती दौर में इससे दूर रहें तो अच्छा है।

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