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वही मै दे पाया ! … नवगीत !

वही मै दे पाया !   … नवगीत !
----------------------------------
जो था मेरे पास 
वही मै दे पाया
 
अंतर में खुशियों का सोता 
होठों पर मुस्कान 
चहरे पर है इंद्रधनुष और 
हाव-भाव में शान 
 
इठलाता मधुमास 
तुम्हारी खातिर लाया  …ज़ो था …वही मै दे पाया  
 
मन में था अवसाद 
अधर भी सूखे-सूखे 
नयन किसी दर्शन को 
जैसे  प्यासे -भूखे 
 
घुटन  नीर आभास 
यही बस लिख पाया …ज़ो था …वही मै दे पाया 
 
देने को तो दे सकता 
पर क्या है अपना
एक बार तो पूंछू 
उससे उसका सपना 
 
अपने-अपने वृत्त 
समय ने समझाया …ज़ो था …वही मै दे पाया 
 
जो था मेरे पास 
वही मै दे पाया ! …ज़ो था …वही मै दे पाया  
------------------------------------------------
अविनाश बागडे     मौलिक/अप्रकाशित 

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Comment

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Comment by AVINASH S BAGDE on December 23, 2013 at 7:20pm

सारथी' जी बहुत बहुत आभार ..

Comment by Saarthi Baidyanath on December 23, 2013 at 6:37pm

क्या बात ..क्या बात ! बहुत सुन्दर और मनोहारी नवगीत रचा है आपने 

अंतर में खुशियों का सोता 
होठों पर मुस्कान 
चहरे पर है इंद्रधनुष और 
हाव-भाव में शान .....:)
Comment by AVINASH S BAGDE on December 23, 2013 at 6:36pm

Shyam Narain Verma ji..आभार !

Comment by AVINASH S BAGDE on December 23, 2013 at 6:35pm
Comment by AVINASH S BAGDE on December 23, 2013 at 6:34pm

अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव जी बहुत बहुत आभार ..

Comment by AVINASH S BAGDE on December 23, 2013 at 6:34pm

आदरणीया मीना जी बहुत बहुत आभार 

Comment by Shyam Narain Verma on December 23, 2013 at 4:26pm
बहुत सुंदर नवगीत...बहुत-बहुत बधाई

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 23, 2013 at 4:21pm

आदरणीय अविनाश भाई , लाजवाब नव गीत की रचना की है ॥ बहुत खूब ॥ आपको हार्दिक बधाइयाँ ॥

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on December 23, 2013 at 4:17pm

जो कुछ  मुझे मिला है , दिये जा रहा हूं मैं। 

आदरणीय अविनाश भाई , आपका यह नव गीत भी कुछ इसी भाव में है और बहुत सुंदर है। मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार करें॥

Comment by Meena Pathak on December 23, 2013 at 1:25pm
देने को तो दे सकता 
पर क्या है अपना
एक बार तो पूंछू 
उससे उसका सपना ..../// बहुत सुन्दर नवगीत आ० अविनाश जी , सादर बधाई 

कृपया ध्यान दे...

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