For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

2122 1212  22

कुछ बहा पर बचा ज़रा भी है

जख़्म लेकिन, कही हरा भी है

जिनको बांटा उन्हें मिला भी पर

प्यार से दिल मेरा भरा भी है

ख़्वाब ताबीर तक कहाँ पहुंचा

थक के हारा, कभी मरा भी है

बात करता है वो महज़ सच की

सरफिरा है मगर खरा भी है   

जख़्म तुम सोच के ही दिखलाओ

हाथ निश्तर है ,उस्तरा भी है

ज़िन्दगी एक स्वाद क्या मानी

स्वाद मीठा है चरपरा भी है  

कोई कहता मुझे,मै खुश होता

तू कहीं से गज़ल सरा भी है

  मौलिक एवँ अप्रकाशित

Views: 800

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 12, 2013 at 6:34pm

आदरणीय बड़े भाई , सराहना के लिये आपका अभार !!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 12, 2013 at 6:33pm

वीर भाई , हौसला अफज़ाई के ;लिये आपका आभार !


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 12, 2013 at 6:32pm

आदरणीय शिज्जू भाई , आपने गज़ल की सराहना की , मेरे लिये बहुत खुशी की बात है !! आपका आभार !!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 12, 2013 at 6:30pm

आदरणीय परवीन जी , हौसला अफजाई के लिये आपका दिली शुक्रिया !!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 12, 2013 at 6:29pm

आदरणीय अरविन्द भाई , सराहना के लिये आपका बहुत शुक्रिया !!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 12, 2013 at 6:28pm

आदरणीया वन्दना जी , हौसला अफज़ाई के लिये आपका बहुत शुक्रिया


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 12, 2013 at 6:27pm

आदरणीय ललित जी , उत्साह वर्धन के लिये आपका हार्दिक आभार !!

Comment by अरुन 'अनन्त' on September 12, 2013 at 12:11pm

वाह आदरणीय बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल कही है आपने सभी अशआर पसंद आये खासकर इन अशआरों हेतु विशेष तौर से बधाई स्वीकारें.

बात करता है वो महज़ सच की

सरफिरा है मगर खरा भी है   .. वाह

जख़्म तुम सोच के ही दिखलाओ

हाथ निश्तर है ,उस्तरा भी है... लाजवाब

ज़िन्दगी एक स्वाद क्या मानी

स्वाद मीठा है चरपरा भी है  .. बेहतरीन

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on September 12, 2013 at 12:11pm

अच्छी गजल, बधाई छोटे भाई।

Comment by Anil Chauhan '' Veer" on September 12, 2013 at 10:53am

बहुत खूब सर बेहतरीन ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करें .... 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश भाई, निवेदन का प्रस्तुत स्वर यथार्थ की चौखट पर नत है। परन्तु, अपनी अस्मिता को नकारता…"
yesterday
Sushil Sarna posted blog posts
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार ।विलम्ब के लिए क्षमा सर ।"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया .... गौरैया
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी । सहमत एवं संशोधित ।…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .प्रेम
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार आदरणीय"
Monday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .मजदूर

दोहा पंचक. . . . मजदूरवक्त  बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सुशील सरना जी मेरे प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
Monday
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार । सहमत एवं…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service