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घुट-घुट मरती हैं बच्ची

इस रचना में एक अधिवक्ता की  पत्नी का दर्द फूट  पड़ा है ..................

ना जइयो तुम कोर्ट हे !

मेरे दिल को लगा के ठेस ....

जब जग जाहिर ये झूठ फरेबी

बार-बार लगते अभियोग

अंधी श्रद्धा भक्ति तुम्हारी

क्यों फंसते झूठे जप-जोग

आँखें खोलो करो फैसला

ना जाओ लड़ने तुम केस .............

ना जइयो तुम कोर्ट हे !

मेरे दिल को लगा के ठेस ....

========================

जान बचा-ना न्याय दिला-ना

बातें प्रिय तेरी सच्ची

ये गरीब वो पैसे वाला

घुट-घुट मरती हैं बच्ची

रिश्ते-नाते मात-पिता सब

दर्द में   उलझे मरते रोज

आँखें खोलो करो फैसला

ना जाओ लड़ने तुम केस .............

ना जइयो तुम कोर्ट हे !

मेरे दिल को लगा के ठेस ....  

================================

तेरे बीबी बच्चों को जब

धमकी, दिल दहलायेगी

क्या गवाह तुम बने रहोगे ?

टूट नहीं तुम  जाओगे ?

न्याय की देवी को प्रियतम हे !

क्या  सच्चाई कह पाओगे ?

आँखें खोलो करो फैसला

ना जाओ लड़ने तुम केस .............

ना जइयो तुम कोर्ट हे !

मेरे दिल को लगा के ठेस .... 

==============================

दस-दस झूठों में सच्चा 'इक'

घिसता नाक रगड़ता है

तू बहुमत-बहुमत करके क्यों

सच्चाई से चिढ़ता है

पोथी पत्रा  नियम नीति को

सच्ची राह पे ले आओ

चलो नहीं हे ! खेती करते

कोर्ट कचहरी मत जाओ

आँखें खोलो करो फैसला

ना जाओ लड़ने तुम केस .............

ना जइयो तुम कोर्ट हे !

मेरे दिल को लगा के ठेस .... 

==============================

आसमान से गोले गिरते

धरती सब सहती जाती

धैर्य प्रेम ममता स्नेह ही

जल-जल हरियाली लाती

अतिशय प्रलय प्रकोप का कारक

दुष्ट निशाचर बन जाते

साधु -संत क्या पापी फिर तो

काल के गाल समा जाते

==========================

आँखें खोलो करो फैसला

ना जाओ लड़ने तुम केस .............

ना जइयो तुम कोर्ट हे !

मेरे दिल को लगा के ठेस .... 

==========================

"मौलिक व अप्रकाशित"

सुरेन्द्र कुमार शुक्ल 'भ्रमर'५

9.20 A.M.-10.40 A.M.

कुल्लू हिमाचल

08.09.2013

Views: 800

Comment

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Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on September 9, 2013 at 12:23am

प्रिय जवाहर भाई समर्थन लिए आभार ..कदम तो बढ़ाना ही है दिलवाले और जांबाज लोग बढ़ाते भी हैं ...ये तो स्थितियों को बयां कर रही है जो अक्सर होता दीखता है ..यही तो बदलना है
भ्रमर ५

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on September 8, 2013 at 9:48pm

तेरे बीबी बच्चों को जब

धमकी, दिल दहलायेगी

क्या गवाह तुम बने रहोगे ?

टूट नहीं तुम  जाओगे ?

न्याय की देवी को प्रियतम हे !

क्या  सच्चाई कह पाओगे ?

आँखें खोलो करो फैसला

ना जाओ लड़ने तुम केस .............

ना जइयो तुम कोर्ट हे !

मेरे दिल को लगा के ठेस .... 

आदरणीय भ्रमर जी, सच्चाई और न्याय प्रणाली के परत खोलती रचना ... फिर भी किसी न किसी को तो पहला कदम बढ़ाना होगा

कृपया ध्यान दे...

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