For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सवैया...किरीट एवं दुर्मिल !!! श्री हनुमान जी !!!

कोमल कोपल बीच लुकावत, लंक निसाचर रावन आवत।
काढि़ कृपान नशावत कोपत, क्रोध बढ़े हनुमान छिपावत।।1

तिनका रख ओट कहे बचना, सिय रावन को डपटाय घना।
नहि सोच विचार करे विधना, अबला हिय हाय बचे रहना।।2

रावन कॅाप गयो तन से मन, आंख झुकाय कियो भुइ राजन।
पीठ दिखाय गयो जब रावन, सीतहि त्रास भयो धुन दाहन।।3

मन दीन मलीन हरी रट री, हनुमान सुजान दिये मुदरी।
लइ मातु बुझाय रही दुखरी,जय राम रमापति नाम धुरी।।4

राम सुनाम जपै कपि शोभत, भूख बढ़ाय रूके नहि रोकत।
मातु डरे रजनीचर डोलत, श्री हनुमान निसाचर धोवत।।5

रनवीर सभी घबराय भगे, रखि मान लड़े लतियाय पगे।
रजनीचर शान अक्षय टॅगे, बृहमा सर मेघ बॅधाय ठगे।।6


के0पी0सत्यम/मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 1451

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 9, 2013 at 7:46pm

आ0 पाठक जी,  आपके उत्साह वर्धन के लिए हार्दिक आभार। सादर,

Comment by ram shiromani pathak on April 9, 2013 at 7:39pm

बहुत ही सुंदर प्रस्‍तुति!.बधाई स्वीकार करें.

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 9, 2013 at 7:38pm

आ0 राजेश जी,  आपके आशीष वचनों के लिए हार्दिक आभार। सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 9, 2013 at 7:36pm

आ0 एक0के0 चाौधरी जी,  आपके आशीष वचनों के लिए हार्दिक आभार। सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 9, 2013 at 7:36pm

आ0 श्याम नारायण जी,  उत्साह वर्धन के लिये आपको हार्दिक धन्यवाद एवं आभार। सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 9, 2013 at 7:23pm

आ0 विजया श्री जी,  उत्साह वर्धन के लिये हार्दिक धन्यवाद एवं आभार। सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 9, 2013 at 7:22pm

आ0 कुन्ती जी, जी मैम, मुझे याद आरहा है कि एक बार वहां एक यज्ञ चल रहा था। यह यज्ञ धू धू कर लपटों में जल रहा था, और अचानक ही उस लपट में से एक लपट हनुमान जी की आकृति में निकल कर यज्ञ के चारों ओर नृत्य कर रहा था।  उस समय लोगों की आस्था देखते ही बन रहा था। मैं भी रोमांचित हो गया था।  साझा करने के लिये हार्दिक धन्यवाद एवं आभार। सादर,

Comment by राजेश 'मृदु' on April 9, 2013 at 5:19pm

बहुत ही सुंदर प्रस्‍तुति, शेष गुरूजनों के लिए छोड़ता हूं, सादर

Comment by Shyam Narain Verma on April 9, 2013 at 2:25pm

BAHOT KHOOB...............

Comment by vijayashree on April 9, 2013 at 2:14pm

अति सुंदर ..........बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
11 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
18 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"गजल**किसी दीप का मन अगर हम गुनेंगेअँधेरों    को   हरने  उजाला …"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई भिथिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर उत्तम रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service