For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

भिड़ रही हैं परवतों से राइयां

हाय रे ये इश्क़ की बेताबियाँ
ले रही हैं ज़िन्दगी अंगड़ाइयां

क्या कहूँ इस से ज़ियादा आप को
मार डालेंगी मुझे तन्हाइयां

आजकल मातम है क्यूँ छाया हुआ
सुनते थे कल तक जहाँ शहनाइयाँ

दौर है ये ज़ोर की आजमाइशों का
भिड़ रही हैं परवतों से राइयां

चल पड़ा हूँ मैं निहत्था जंग में
लाज रख लेना तू मेरी साइयां

इक जगह टिकती नहीं हैं ये कभी
मुझ सी ही नटखट मेरी परछाइयाँ

इतनी सुन्दर बीवियां दिखती नहीं
जितनी सुन्दर काम वाली बाइयां

'अलबेला' है मसखरा, शायर नहीं
ढूंढिए मत ग़ज़ल में गहराइयां

-अलबेला खत्री

Views: 1041

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Albela Khatri on August 22, 2012 at 10:59pm

हा हा हा
तो ये है लोटा ....
बाबा लोटानंद की जय !
सादर बागी जी..............हा हा हा ..मज़ा आया


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on August 22, 2012 at 10:45pm

लोटा का आकर्षण होता ही ऐसा, समय पर लोटा ना मिले तो आदमी लौटता नहीं है लोट जाता है :-))))))))))))))))

Comment by Albela Khatri on August 22, 2012 at 10:03pm

ये लोटा लोटा क्या है ?
ये लोटा लोटा ?
लोटा ?
_________सादर  महाप्रभु !


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 22, 2012 at 9:59pm

ले लोटा.. .  आय-हाय.. हाय-हाय ! हा हा हा हा...   बाग़ी भाई के जवाब नइखे.. (बाग़ी भाई का ज़वाब नहीं है)

इस लोटे के आकर्षण में खिंचा चला आया.. . :-))))))))

Comment by Albela Khatri on August 22, 2012 at 8:58pm

आदरणीय बागी भाईजी,
प्रणाम............ये "ले लोटा " क्या  है जी ?
___आपकी सराहना  सर आँखों पर..........लेकिन लोटा वाला रहस्य  क्या  है ?

सादर


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on August 22, 2012 at 8:55pm

'अलबेला' है मसखरा, शायर नहीं
ढूंढिए मत ग़ज़ल में गहराइयां......

ले लोटा, गहरी बात कहने बाद कह दिए कि "ढूंढिए मत ग़ज़ल में गहराइया" वैसे ही जैसे टी वी वाले सब कुछ दिखाने के बाद Disclaimer  लिख देते है, अच्छी ग़ज़ल पर मुबारकवाद कुबूल करें |

Comment by Albela Khatri on August 22, 2012 at 7:13pm

धन्यवाद भाई सतीश जी.......
शुक्रिया
सादर

Comment by Albela Khatri on August 22, 2012 at 11:19am

सादर आदरणीय लड़ी वाला जी

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 22, 2012 at 10:57am

"वैसे कहना नहीं किसी से, .आपकी  रूचि,आपकी  सतत ऊर्जा और  आपका समर्पण  स्तुत्य है"


वाह ; वाह ...जय हो आपकी जय हो .......भाईजी, गजब करते हो 
कहना मत किसी से, कहकर सार्वजानिक करते हो, 
और वह  भी ओबीओ के माध्यम से जो सर्व लोकप्रिय माद्यम हो चूका है ..... 
यह मै नहीं, जोहरी बाज़ार,जयपुर की पीपली बोल रही है, चाहो तो जयपुर के ही 
संदीप कुमार पटेल जी से पूछलों प्रभु 
सादर  
Comment by Albela Khatri on August 22, 2012 at 9:13am

धन्यवाद.........
बहुत बहुत शुक्रिया

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Monday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
Sunday
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मिथलेश वामनकर जी, प्रेत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय Dayaram Methani जी, लघुकथा का बहुत बढ़िया प्रयास हुआ है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"क्या बात है! ये लघुकथा तो सीधी सादी लगती है, लेकिन अंदर का 'चटाक' इतना जोरदार है कि कान…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service