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एक सूख कर टूटी हुई डाली थी ज़मीं पर,
वो आया और पतझड़ को भी सावन बना गया I
 
यूँ थाम अपने हाथ डाली मुस्कुरा उठा,
वो स्वप्न ज़िन्दगी के मौत में जगा गया I
 
पपड़ी थी तिरस्कार की डाली पे जो जमी,
नेह की शबनम से वो उसको हटा गया I
 
हक मान अपने हाथ डाली जिस्मों जान के,
ज्ञान बाण भेद वो कन्दरा गढा गया I
 
फिर सप्त छिद्र भेद के उस शून्य नली में,
प्यार की सरगम बहे, वंशी बना गया I
 
सुर रूप सजी बांसुरी, हो पूज्य सर्वदा,
कृष्ण के अधरों पे वो, उसको सजा गया I
 
आन बान शान हाथ सौंप बांसुरी,
ज़र्रे को ज़मीं के वो सितारा बना गया I

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Comment

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सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on June 3, 2012 at 5:27pm
 आदरणीय गणेश बागी जी, इस रचना को सराहने के लिए हार्दिक आभार..
मै आज कल ग़ज़ल के पाठ पढ़ रही हूँ, और ग़ज़ल की हर बारीकी को आत्मसात करने के बाद ही ग़ज़ल पर कलम आजमाऊंगी. शीघ्र ही प्रयास करूंगी अच्छी ग़ज़ल लिख सकूं.

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on June 3, 2012 at 4:50pm

खुबसूरत रचना, प्रयास करें तो यह रचना सहज ही ग़ज़ल बन सकती है, प्रयास पर बधाई स्वीकार करें |


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on May 31, 2012 at 12:00pm

इस रचना को सराहने हेतु हार्दिक आभार आदरणीय योगराज प्रभाकर जी.


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on May 31, 2012 at 11:52am

//पपड़ी थी तिरस्कार की डाली पे जो जमी,

नेह की शबनम से वो उसको हटा गया I//
बहुत सुन्दर रचना है डॉ प्राची सिंह जी, बधाई स्वीकार करें.  

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on May 31, 2012 at 9:48am

हार्दिक आभार आदरणीय प्रदीप कुशवाहा जी, वंदना गुप्ता जी, उमाशंकर मिश्रा जी

Comment by UMASHANKER MISHRA on May 30, 2012 at 10:30pm

तिरस्कार को  प्यार के आंसू से बहा दिया

बहुत सुन्दर

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 30, 2012 at 3:58pm

आदरणीय प्राची   जी, सादर 

सुर रूप सजी बांसुरी, हो पूज्य सर्वदा,
कृष्ण के अधरों पे वो, उसको सजा गया I 
बधाई. 

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on May 30, 2012 at 10:09am

आदरणीय डॉ. सूर्य बाली जी, आपने अपना कीमती वक़्त इस कविता को दिया व हार्दिक बधाइयां प्रेषित की..इस सराहना हेतु आपका बहुत बहुत आभार .


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on May 30, 2012 at 10:07am
 इस रचना को सराह कर उत्साहवर्धन करने के लिए  हार्दिक आभार रेखा जोशी जी, भावेश राजपाल जी

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on May 30, 2012 at 10:06am

आपने इस रचना को सराह कर मान दिया, हार्दिक आभार आदरणीया राजेश कुमारी जी..

कृपया ध्यान दे...

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