For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

1222×4

ग़ज़ल में अपने माज़ी के कई लम्हात लाया हूँ,
परेशानी की हालत में इन्हीं से जा लिपटता हूँ.

एक ऐसा रास्ता जो देर तक खाली नहीं रहता,
मैं ऐसे रास्ते पर देर से खामोश बैठा हूँ.

लगी है आग वो घर में बुझाई ही नहीं जाती,
मैं दुनिया भर की कितनी उलझनें सुलझाता रहता हूँ.

गली के मोड़ से छुपकर तमाशा देखने वालो,
वतन का खून हूं मैं सूखकर मिट्टी से चिपका हूँ.

मुझे इससे बड़ी राहत जमाने में भला क्या माँ,
मैं टुकड़ा टुकड़ा हूं फिर भी तुम्हारे दिल का टुकड़ा हूँ.

जुदाई के बहुत पहले ही डरता था जुदाई से,
जुदाई के बहुत दिन बाद भी लेकिन मैं जिंदा हूँ.

ख्यालों में भरी नाक़ामियाँ सोने नहीं देती,
वो मुझसे पूछते हैं इतनी ग़ज़लें कैसे लिखता हूँ.

मुझे ताउम्र अपने होने की सूरत पे रोना है,
किसी के घर का रस्ता हूँ, किसी के घर से गुजरा हूं.

तभी तक आदमी बेबाक रह सकता है दुनिया में,
वो जब तक सोचता है मैं जमाने भर से अच्छा हूँ.

किसी के मरमरी हाथों की सुहबत का नतीजा है,
किसी अहसास को भी देर तक छूने से डरता हूँ.

मौलिक और अप्रकाशित

Views: 346

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by मनोज अहसास on November 15, 2019 at 10:59pm

हार्दिक आभार आदरणीय समर कबीर साहब

मैं सदैव आपका बेहद शुक्रगुज़ार रहूंगा

आपका मार्गदर्शन मेरे लिए बहुत बड़ा आशीर्वाद है

कृपा बनाये रखिये सर

Comment by Samar kabeer on November 9, 2019 at 3:25pm

जनाब मनोज अहसास जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।

'ग़ज़ल में अपने माज़ी के कई लम्हात लाया हूँ'

इस मिसरे में 'अपने' की जगह "अपनी" कर लें।

'मैं टुकड़ा टुकड़ा हूं फिर भी तुम्हारे दिल का टुकड़ा हूँ'

इस मिसरे में 'टुकड़ा' शब्द तीन बार खटकता है,मिसरा बदलने का प्रयास करें ।

'ख्यालों में भरी नाक़ामियाँ सोने नहीं देती'

इस मिसरे में 'नाक़ामियाँ' को "नकमियाँ" लिखें ।

'किसी के मरमरी हाथों की सुहबत का नतीजा है,'

इस मिसरे में सहीह शब्द है "मरमरीं" ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आपका हार्दिक आभार आदरणीया प्रतिभा जी। "
3 minutes ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लेकिन उस खामोशी से उसकी पुरानी पहचान थी। एक व्याकुल ख़ामोशी सीढ़ियों से उतर गई।// आहत होने के आदी…"
3 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"प्रदत्त विषय को सार्थक और सटीक ढंग से शाब्दिक करती लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय…"
3 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदाब। प्रदत्त विषय पर सटीक, गागर में सागर और एक लम्बे कालखंड को बख़ूबी समेटती…"
4 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर साहिब रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर प्रतिक्रिया और…"
5 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"तहेदिल बहुत-बहुत शुक्रिया जनाब मनन कुमार सिंह साहिब स्नेहिल समीक्षात्मक टिप्पणी और हौसला अफ़ज़ाई…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी प्रदत्त विषय पर बहुत सार्थक और मार्मिक लघुकथा लिखी है आपने। इसमें एक स्त्री के…"
7 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान ______ 'नवेली की मेंहदी की ख़ुशबू सारे घर में फैली है।मेहमानों से भरे घर में पति चोर…"
9 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान की परिभाषा कर्म - केंद्रित हो, वही उचित है। आदरणीय उस्मानी जी, बेहतर लघुकथा के लिए बधाइयाँ…"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया लघुकथा हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीय मनन कुमार सिंह जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी दोनों सहकर्मी है।"
10 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service