For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

(16 मात्राएँ)
कर्म करें तो बढ़ते सारे
बिना किये किस्मत भी हारे

रात चाँदनी और ये तारे
नहीं सुहाते बिना तुम्हारे

मजहब क्या दीवार है कोई
लिख डाले जो इतने नारे

रात अँधेरी से क्या डरना
हैं उम्मीदों के उजियारे

बीच भँवर में जीवन नैया
डोल रही,हैं दूर किनारे

खींचेगी फूलों की खुशबू
चलो देख कर काँटे प्यारे।

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 775

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on May 9, 2017 at 10:30am
आदरणीय नीलेश जी,सादर हार्दिक आभार संग नमन!स्नेह और मार्गदर्शन यूँ ही बना रहे!
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on May 9, 2017 at 10:29am
आदरणीय नीलेश जी,सादर हार्दिक आभार संग नमन!स्नेह और मार्गदर्शन यूँ ही बना रहे!
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on May 9, 2017 at 10:29am
आदरणीय नीलेश जी,सादर हार्दिक आभार संग नमन!स्नेह और मार्गदर्शन यूँ ही बना रहे!
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on May 9, 2017 at 10:28am
आदरणीय नीलेश जी,सादर हार्दिक आभार संग नमन!स्नेह और मार्गदर्शन यूँ ही बना रहे!
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on May 9, 2017 at 10:26am
आदरणीय गिरिराज भंडारी सर,हौंसलाफ़ज़ाई के लिए तहेदिल आभार, सादर नमन
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on May 9, 2017 at 10:26am
आदरणीय गिरिराज भंडारी सर,हौंसलाफ़ज़ाई के लिए तहेदिल आभार, सादर नमन
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on May 9, 2017 at 10:26am
आदरणीय गिरिराज भंडारी सर,हौंसलाफ़ज़ाई के लिए तहेदिल आभार, सादर नमन
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on May 9, 2017 at 10:24am
आदरणीय समर कबीर जी,सादर हार्दिक आभार,यह स्नेह यूँ ही बनाए रखें!सादर
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on May 9, 2017 at 10:23am
आदरणीय रवि शुक्ल सर सादर आभार संग नमन,स्नेह और मार्गदर्शन यूँ ही बना रहे!
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on May 9, 2017 at 10:22am
आदर नरसिंह चौहान जी,सादर हार्दिक आभार संग नमन

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर आपने सर्वोत्तम रचना लिख कर मेरी आकांक्षा…"
1 hour ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"वो भी क्या दिन थे... आँख मिचौली भवन भरे, पढ़ते   खाते    साथ । चुराते…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"माता - पिता की छाँव में चिन्ता से दूर थेशैतानियों को गाँव में हम ही तो शूर थे।।*लेकिन सजग थे पीर न…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"वो भी क्या दिन थे सखा, रह रह आए याद। करते थे सब काम हम, ओबीओ के बाद।। रे भैया ओबीओ के बाद। वो भी…"
7 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"स्वागतम"
19 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

देवता चिल्लाने लगे हैं (कविता)

पहले देवता फुसफुसाते थेउनके अस्पष्ट स्वर कानों में नहीं, आत्मा में गूँजते थेवहाँ से रिसकर कभी…See More
21 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय,  मिथिलेश वामनकर जी एवं आदरणीय  लक्ष्मण धामी…"
22 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185

परम आत्मीय स्वजन, ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 185 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Wednesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रस्तुति पर आपसे मिली शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद ..  सादर"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ कर तरक्की जो सभा में बोलता है बाँध पाँवो को वही छिप रोकता है।। * देवता जिस को…See More
Tuesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service