For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कविता .....माँ का श्राद्ध

कल माँ का श्राद्ध है
पन्द्रहवाँ श्राद्ध
कल उनकी बहु उठेगी
पौ फटते ही पूरा घर करेगी
गंगाजल के पानी से साफ
सुबह सुबह ठंडे गंगाजल मिले पानी से
नहायेगी भी, पहनेगी उनकी  दी हुयी साड़ी
जो उसे पसन्द भी नहीं थी...
फिर पूरा घर बुहारेगी
बनायेगी तरह तरह के पकवान
जो भी माँ को पसन्द थे
पूजा में नतमस्तक हो बैठेगी मन लगा कर
अपने हाथों से खिलायेगी
गाय को पूरी खीर
कौओं को हांक लगा कर बुलायेगी छत पर
फिर खिलायेगी छोटे छोटे कौर
फिर जायेगी किसी गली के लावारिस कुत्ते को ढ़ूढ़ने
उसको भी खिलायेगी देसी घी में बनी पूरी सब्जी
सात पंडितों को बुला कर खिलायेगी
भरपूर भोजन.........
फिर पंडितों के चरण छू कर लेगी आर्शीवाद
आशंका रहती है उसके मन में कुछ
अनिष्ट के होने की.....
जब दक्षिणा देने का समय आयेगा
तब दिलवायेगी उन्हीं के  बेटे से
दान पंडितों को
बच्चों को बुला कर दिलवायेगी शुभाशीष
माँ नहीं है तो इतने आडम्बर....
जब वह जीवित थी तो माँ 
तरसती थी पानी को भी
दवाई और इलाज को भी
कैसा श्राद्ध है यह
आज पंडित जी की थाली में हैं
अनेकों व्यंजन.....
पर माँ मेरी माँ, भूखी और अतृप्त ही  विदा हुयी
इस दुनिया से.....


आभा

अप्रकाशित  एवं  मौलिक 

Views: 1319

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by pratibha pande on September 23, 2016 at 2:07pm

भावना रहित ढकोसलों को बयाँ करती अच्छी प्रस्तुति ...हार्दिक बधाई प्रेषित है आपको आदरणीया आभा जी 

Comment by Abha saxena Doonwi on September 23, 2016 at 7:21am

आदरणीया Amita  Tiwari जी बहुत बहुत शुक्रिया आपका 

Comment by Abha saxena Doonwi on September 23, 2016 at 7:19am

आदरणीय sushil sarna जी नमस्कार , आपने  मेरी रचना माँ का श्राद्ध को पसंद किया उसके लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया ...

Comment by Abha saxena Doonwi on September 23, 2016 at 7:17am

आदरणीय सुरेश कुमार कल्याण जी नमस्कार आपकी  मेरी रचना की पसंदगी के लिए बहुत बहुत शुक्रिया आपका ....

Comment by Abha saxena Doonwi on September 23, 2016 at 7:16am

आदरणीय शिज्जू ठाकुर जी नमस्कार ,आपने मेरी रचना में जो कमी बताई है उसका मैं आगे से ध्यान रखने कि कोशिश करुँगी आभार आपका 

Comment by Abha saxena Doonwi on September 23, 2016 at 7:14am

आदरणीय समर कबीर जी आपने मेरी रचना माँ का श्राद्ध को पसंद किया उसके लिए मैं आपकी ह्रदय से आभारी हूँ .इसी तरह स्नेह भाव बनाये रखियेगा ..शुक्रिया ..

Comment by Abha saxena Doonwi on September 23, 2016 at 7:13am

आदरणीय कल्पन्ना भट्ट जी आपने मेरी रचना को पढ़ा  और सराहा उसके लिए मैं आपका हार्दिक अभिनन्दन करती हूँ आभार आपका 

Comment by amita tiwari on September 21, 2016 at 11:48pm

दिल पर लगी 

Comment by Sushil Sarna on September 21, 2016 at 9:15pm
Dil ko chhootee is bhaavpoorn prastuti ke liye haardik haardik badhaaèeeeeeeeeee aadrneeya
Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on September 21, 2016 at 8:08pm
मनःस्थिति को बयान करती सुन्दर रचना के लिए हार्दिक बधाई आदरणीया आभा जी।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"स्वागतम"
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar joined Admin's group
Thumbnail

सुझाव एवं शिकायत

Open Books से सम्बंधित किसी प्रकार का सुझाव या शिकायत यहाँ लिख सकते है , आप के सुझाव और शिकायत पर…See More
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार। विलम्ब से उत्तर के लिए…"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम्. . . . . गुरु
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"आ. भाई धर्मेंद्र जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आयोजन की सफलता हेतु सभी को बधाई।"
17 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"मेरे कहे को मान देने के लिए हार्दिक आभार। वैसे यह टिप्पणी गलत जगह हो गई है। सादर"
17 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"मेरे कहे को मान देने के लिए हार्दिक आभार।"
17 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)

बह्र : 2122 2122 2122 212 देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिलेझूठ, नफ़रत, छल-कपट से जैसे गद्दारी…See More
18 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद सुख़न नवाज़ी और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
18 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आपने अन्यथा आरोपित संवादों का सार्थक संज्ञान लिया, आदरणीय तिलकराज भाईजी, यह उचित है.   मैं ही…"
19 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी बहुत शुक्रिया आपका बहुत बेहतर इस्लाह"
20 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service