For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ये तो ख़्वाब हैं ...

ये तो ख़्वाब हैं ...

शब् के हों
या सहर के हों
सुकूं के हों
या कह्र के हों
ये तो ख़्वाब हैं
ये कभी मरते नहीं

ज़ज़्बातों के दिल हैं ये
ये किसी कफ़स में
कैद नहीं होते
ये नवा हैं (नवा=स्वर)
ये हवा हैं
ये ज़ुल्मों की आतिश से
तबाह नहीं होते
ये हर्फ़ हैं
ये नूर हैं
किसी सनाँ के वार से (सनाँ=भाला)
इन्हें अज़ल नहीं आती
पलकों की ज़िंदाँ में (ज़िंदाँ =कारागार)
ये सांस लेते हैं
ज़िस्म फ़ना होते हैं मगर
ख़्वाब तो ख़्वाब हैं
जहां रूह होती है
ये वहां होते हैं
ये किसी रात से
परेशाँ नहीं होते
ये सहर की
ज़ुबाँ नहीं होते
ये रेज़ा रेज़ा
कभी बिखरते नहीं
सच
ये तो ख़्वाब हैं
ये कभी मरते नहीं

सुशील सरना
मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 490

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on August 31, 2016 at 2:48pm

सर ये आपकी ज़िंदादिली है। अब स्वास्थ्य कुछ बेहतर हुआ है तो मंच पर उपस्थित हुआ हूँ। आपका हार्दिक आभार सर। 

Comment by Samar kabeer on August 31, 2016 at 2:34pm
इसमें क्षमा मांगने की क्या बात है भाई,आपका सुवास्थ अब केसा है ।
Comment by Sushil Sarna on August 31, 2016 at 1:45pm

आदरणीया प्रतिभा पांडेय जी रचना में निहित भावों को प्रोत्साहित करती आपकी आत्मीय सराहना का दिल से आभार। सर, पिछले १० -१५ दिन से ज्वर से पीड़ित होने के कारण मैं आपका आभार व्यक्त करने में असमर्थ रहा , इसके लिए हृदय से क्षमा चाहता हूँ।

Comment by Sushil Sarna on August 31, 2016 at 1:44pm

आदरणीय डॉ. सुरेन्द्र कुमार वर्मा जी रचना में निहित भावों को प्रोत्साहित करती आपकी आत्मीय सराहना का दिल से आभार। सर, पिछले १० -१५ दिन से ज्वर से पीड़ित होने के कारण मैं आपका आभार व्यक्त करने में असमर्थ रहा , इसके लिए हृदय से क्षमा चाहता हूँ।

Comment by Sushil Sarna on August 31, 2016 at 1:43pm

आदरणीय समर कबीर साहिब रचना में निहित भावों को प्रोत्साहित करती आपकी आत्मीय सराहना का दिल से आभार। सर, पिछले १० -१५ दिन से ज्वर से पीड़ित होने के कारण मैं आपका आभार व्यक्त करने में असमर्थ रहा , इसके लिए हृदय से क्षमा चाहता हूँ।

Comment by pratibha pande on August 23, 2016 at 10:15am

ख़्वाब तो ख़्वाब हैं 
जहां रूह होती है 
ये वहां होते हैं 
ये किसी रात से 
परेशाँ नहीं होते 
ये सहर की 
ज़ुबाँ नहीं होते ...वाह क्या बात आदरणीय ..बहुत खूबसूरत एहसास समेट लाये हैं आप इस रचना में ..हार्दिक बधाई प्रेषित है आपको 

Comment by डा॰ सुरेन्द्र कुमार वर्मा on August 23, 2016 at 7:49am

बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति और भाव.....हर पंक्ति पिघलती हुई मन में प्रवेश करती है! बहुत बधाई सरना जी! आपने तो ख़्वाब की हक़ीकत ज़ाहिर कर दी है... 

Comment by Samar kabeer on August 22, 2016 at 4:04pm
जनाब सुशील सरना जी आदाब,20 तारीख़ की पोस्ट की हुई रचना पर दो दिन तक एक भी प्रतिक्रया नहीं,बहुत अफ़सोस का मुक़ाम है ।
हमेशा की तरह एक लफ्ज़ को बुनियाद बनाकर बहुत उम्दा रचना हुई है, दाद के साथ ढेरों बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"जय हो.. "
27 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह .. एक पर एक .. जय हो..  सहभागिता हेतु आपका हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय अशोक…"
28 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"क्या बात है, आदरणीय अशोक भाईजी, क्या बात है !!  मैं अभी समयाभाव के कारण इतना ही कह पा रहा हूँ.…"
29 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, आपकी प्रस्तुतियों पर विद्वद्जनों ने अपनी बातें रखी हैं उनका संज्ञान लीजिएगा.…"
32 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपकी सहभागिता के लि हार्दिक आभार और बधाइयाँ  कृपया आदरणीय अशोक भाई के…"
35 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाई साहब, आपकी प्रस्तुतियाँ तनिक और गेयता की मांग कर रही हैं. विश्वास है, आप मेरे…"
37 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, इस विधा पर आपका अभ्यास श्लाघनीय है. किंतु आपकी प्रस्तुतियाँ प्रदत्त चित्र…"
42 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय मिथिलेश भाईजी, आपकी कहमुकरियों ने मोह लिया.  मैंने इन्हें शमयानुसार देख लिया था…"
45 minutes ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव जी सादर, प्रस्तुत मुकरियों की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार.…"
1 hour ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय मिथिलेश जी सादर, प्रस्तुत मुकरियों पर उत्साहवर्धन के लिए आपका हृदय से आभार.…"
1 hour ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत मुकरियों की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार. सादर "
1 hour ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"    प्रस्तुति की सराहना हेतु हृदय से आभार आदरणीय मिथिलेश जी. सादर "
1 hour ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service