For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लघु - कवितायें - 01 - डॉo विजय शंकर

तालाब की दुर्गन्ध
दूर दूर तक फ़ैली थी ,
वो कुछ मछलियों
के भाग जाने का
हवाला दे रहे थे।
**********************
लोग जितने नासमझ होगे
उतनी आप की बात मानेंगे।
लोग जितने टूटेंगे ,
आप उतने मजबूत होंगे।
आप जितनी रोटियां बाटेंगे ,
लोग उतने आपके होंगे।
***********************
राम का नाम सत्य है ,
कभी राम का निर्वासन हुआ ,
आज सत्य का हुआ है।
कारण तब भी राजनैतिक थे ,
अब भी राजनैतिक है।

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 694

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Vijai Shanker on June 19, 2016 at 7:10pm
आपकी उपस्थिति से क्षणिकाओं का मान बढ़ा , आदरणीय सौरभ पांडेय जी , आभार एवं धन्यवाद , सादर।

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 19, 2016 at 4:55pm

क्षणिकाओं के कथ्य स्पष्ट हैं, तभी संप्रेषणीयता भी सटीक है, आदरणीय विजय शंकरजी. 

हार्दिक शुभकामनाएँ 

Comment by Dr. Vijai Shanker on June 15, 2016 at 10:26pm
आदरणीय सुश्री कान्ता रॉय जी , आपको रचना को पसंद कर उसका मान बढ़ाया , आभार , आपकी सद्भावनाओं हेतु हृदय से धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on June 15, 2016 at 10:24pm
आदरणीय डॉo गोपाल नारायण जी , आपको रचना अच्छी लगी , आभार , आपकी सद्भावनाओं हेतु हृदय से धन्यवाद , सादर।
Comment by kanta roy on June 15, 2016 at 8:34pm

आप जितनी रोटियां बाटेंगे ,
लोग उतने आपके होंगे।---- वाह ! कम  शब्दों में  बड़ी  बात  कह  दी  आपने . बहुत-बहुत बधाई  आपको 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 15, 2016 at 8:16pm

राम का नाम सत्य है ,
कभी राम का निर्वासन हुआ ,
आज सत्य का हुआ है।
कारण तब भी राजनैतिक थे ,
अब भी राजनैतिक है।---------------विजय सर -------कम शब्दों में आप्प्का प्रहार बड़ा दूरगामी होता है . आपको बधाई .                                                                                          , 

Comment by Dr. Vijai Shanker on June 15, 2016 at 6:03pm
आदरणीय गिरिराज भंडारी जी ,आपको रचना पसंद आई , आभार , आपके गम्भीर विचारों के लिए आपका हृदय से आभार एवं धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on June 15, 2016 at 6:00pm
आदरणीय महर्षि त्रिपाठी जी ,आपको रचना पसंद आई , आपके सुविचारों के लिए आपका आभार एवं धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on June 15, 2016 at 6:00pm
आदरणीय केवल प्रसाद जी , रचना पसंद आई , आपका आभार एवं धन्यवाद , सादर।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 15, 2016 at 5:32pm

राम का नाम सत्य है ,
कभी राम का निर्वासन हुआ ,
आज सत्य का हुआ है।
कारण तब भी राजनैतिक थे ,
अब भी राजनैतिक है।   ---   लाजवाब । हर युग मे राम निर्वासित होगा , चाहे राम के रूप में चाहे सत्य के रूप में । बाक़ी दोनो रचनायें भी अच्छी लगीं , हार्दिक बधाइयाँ , आ. विजय शंकर भाई जी आपको ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आपने कविता में संदर्भ तो महत्वपूर्ण उठाए हैं, उस दृष्टि से कविता प्रशंसनीय अवश्य है लेकिन कविता ऐसी…"
58 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
" पर्यावरण की इस प्रकट विभीषिका के रूप और मनुष्यों की स्वार्थ परक नजरंदाजी पर बहुत महीन अशआर…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"दोहा सप्तक में लिखा, त्रस्त प्रकृति का हाल वाह- वाह 'कल्याण' जी, अद्भुत किया…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीया प्राची दीदी जी, रचना के मर्म तक पहुंचकर उसे अनुमोदित करने के लिए आपका हार्दिक आभार। बहुत…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी इस प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद। सादर"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बहुत बहुत धन्यवाद आपका मेरे प्रयास को मान देने के लिए। सादर"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"वाह एक से बढ़कर एक बोनस शेर। वाह।"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"छंद प्रवाह के लिए बहुत बढ़िया सुझाव।"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"मानव के अत्यधिक उपभोगवादी रवैये के चलते संसाधनों के बेहिसाब दोहन ने जलवायु असंतुलन की भीषण स्थिति…"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
" जलवायु असंतुलन के दोषी हम सभी हैं... बढ़ते सीओटू लेवल, ओजोन परत में छेद, जंगलों का कटान,…"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आग लगी है व्योम में, कहते कवि 'कल्याण' चहुँ दिशि बस अंगार हैं, किस विधि पाएं त्राण,किस…"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"भाई लक्षमण जी एक अरसे बाद आपकी रचना पर आना हुआ और मन मुग्ध हो गया पर्यावरण के क्षरण पर…"
5 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service