For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पता घाट पर अब लिखाने चले हम- ग़ज़ल (पंकज मिश्र)

122 122 122 122
कि जश्ने मोहब्बत मनाने चले हम।
जी धड़कन को अपनी सुलाने चले हम।।

कि साँसों ने मेरी मना कर दिया है।
ये तन ख़ाक में अब मिलाने चले हम।।

सफ़र ज़िन्दगी का बहुत हो चूका अब।
लो प्रियतम के दिल में समाने चले हम।।

कि अब तक भ्रमित ही किया बादलों नें।
हाँ भ्रम सारे अब तो मिटाने चले हम।।

कि जिनके लिए नैन प्यासे रहे हैं।
नयन उनके झरनें बनाने चले हम।।

कि अब देखना है हुश्ने हुनर भी।
विरह वेदना क्या बताने चले हम।।

ये माला ये सुंदर महकते सुमन सब।
ये शृंगार जग को दिखाने चले हम।।

कि अंजामे उल्फ़त तलक़ आ गए हैं।
पता घाट पर अब लिखाने चले हम।।


मौलिक-अप्रकाशित

Views: 646

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on January 12, 2016 at 7:55pm
आदरणीय रवि सर सादर प्रणाम, ये एक नई कोशिश बस की थी, दरअसल मैं ग़ज़ल को बातचीत के अंदाज़ में लिखना चाह रहा था, इसलिए बस
Comment by Ravi Shukla on January 8, 2016 at 5:03pm

आदरणीय पंकज जी अच्‍छी ग़ज़ल हुई है बधाई स्‍वीकार करें कोशिश करें कि मिसरों का आरंभ सार्थक शब्‍दों से हो ऐसा न लगे कि बह्र के निर्वाह के लिये ही लिये गये है शब्‍द । सादर

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on January 8, 2016 at 12:26am
आदरणीय गिरिराज सर, सादर प्रणाम

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 7, 2016 at 10:04pm

आदरणीय पंकज भाई , बहुत अच्छी ग़ज़ल कही है आपने , दिली बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on January 7, 2016 at 8:40pm
आदरणीय सुशील सरन सर सादर धन्यवाद
Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on January 7, 2016 at 8:28pm
आदरणीय श्याम नारायण जी सादर धन्यवाद
Comment by Sushil Sarna on January 7, 2016 at 7:47pm

कि जश्ने मोहब्बत मनाने चले हम।
जी धड़कन को अपनी सुलाने चले हम।।

कि साँसों ने मेरी मना कर दिया है।
ये तन ख़ाक में अब मिलाने चले हम।।

वाह आदरणीय पंकज साहिब वाह बहुत खूबसूरत अशआर कहे हैं आपने। हर शे'र पे दिल से वाह निकलती है। दिल से बधाई कबूल फरमाएं सर।

Comment by Shyam Narain Verma on January 7, 2016 at 5:31pm
.बहुत खूबसूरत ग़ज़ल बहुत २ बधाई
Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on January 6, 2016 at 1:46pm
आदरणीय सतविंदर भाई सादर आभार प्रेषित है।
Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on January 6, 2016 at 1:45pm
आदरणीय समर कबीर सर,सुझावों के लिए शुक्रिया।
दोष को दूर करने का प्रयास होगा।।

साभार

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी सादर अभिवादन। चित्रानुरूप सुंदर छंद हुए हैं हार्दिक बधाई।"
24 minutes ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी  रचना को समय देने और प्रशंसा के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद आभार ।"
41 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। चित्रानुसार सुंदर छंद हुए हैं और चुनाव के साथ घुसपैठ की समस्या पर…"
1 hour ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी चुनाव का अवसर है और बूथ के सामने कतार लगी है मानकर आपने सुंदर रचना की…"
2 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी हार्दिक धन्यवाद , छंद की प्रशंसा और सुझाव के लिए। वाक्य विन्यास और गेयता की…"
3 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी  वाह !! सुंदर सरल सुझाव "
3 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक कुमार रक्ताले जी सादर अभिवादन बहुत धन्यवाद आपका आपने समय दिया आपने जिन त्रुटियों को…"
3 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी सादर. प्रदत्त चित्र पर आपने सरसी छंद रचने का सुन्दर प्रयास किया है. कुछ…"
4 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, प्रदत्त चित्रानुसार घुसपैठ की ज्वलंत समस्या पर आपने अपने…"
4 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
""जोड़-तोड़कर बनवा लेते, सारे परिचय-पत्र".......इस तरह कर लें तो बेहतर होगा आदरणीय अखिलेश…"
4 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"    सरसी छंद * हाथों वोटर कार्ड लिए हैं, लम्बी लगा कतार। खड़े हुए  मतदाता सारे, चुनने…"
4 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी हार्दिक आभार धन्यवाद , उचित सुझाव एवं सरसी छंद की प्रशंसा के लिए। १.... व्याकरण…"
5 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service