For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गीतिका
आधार छंद-मनोरम
मापनी 2122 2122
समांत-आत
पदांत-आओ
आ सुनो इक बात,आओ।
गुम हुई इक रात,आओ।
ढूँढता मैं आज तक हूँ,
यादों' की बारात,आओ।
सज गयी वह सेज कैसी!
तब के' सुन हालात,आओ।
वात ने दीपक बुझाया,
फिर हुई बरसात,आओ।
ओट घूँघट की रही थी,
काँपता तब गात,आओ।
चूमती फिर बूँद निर्भय,
मौन झंझावात,आओ।
झटके' में तब ओट छँटती,
झाँकता जलजात,आओ।
रे तुहिन कण से नहाया,
हो गया तन-पात,आओ।
गड़ रहा वह रूप पल-पल,
दृष्टि की सौगात,आओ।
दीप इच्छा के जले फिर
आस की तब बात,आओ।
चपला' चमकी,लाज लतिका
ढेर-सी फिर स्यात,आओ।
"मौलिक व अप्रकाशित"@मनन

Views: 411

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Manan Kumar singh on October 28, 2015 at 8:16pm
आभार आपका राजेश कुमारी जी,देखते हैं क्या कर सकते हैं;बहुत बहुत शुक्रिया।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 26, 2015 at 10:27am

आ सुनो इक बात,आओ।---यहाँ शुरू में आ  और बाद में आओ  ठीक नहीं है शुरू में आ   के  स्थान पर  अब या कुछ  लिख सकते हो 

ढूँढता मैं आज तक हूँ,-----ढूँढता हूँ आज तक मैं   ...ठीक रहेगा 

बहुत सुन्दर प्रयास है मनन जी एक परामर्श देना चाहूंगी ...पदांत में आओ की जगह साथी लिखें तो ज्यादा बेहतर होगा क्यूँकि कुछ युग्म में आओ सटीक नहीं बैठ रहा जैसे ---ओट घूँघट की रही थी,
काँपता तब गात,आओ।---इसी तरह अन्य युग्म में आओ बेतुका लग रहा है जबकि साथी सब के साथ सूट करेगा 

बधाई आपको मनन जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
17 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शेर क्रमांक 2 में 'जो बह्र ए ग़म में छोड़ गया' और 'याद आ गया' को स्वतंत्र…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मुशायरा समाप्त होने को है। मुशायरे में भाग लेने वाले सभी सदस्यों के प्रति हार्दिक आभार। आपकी…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor updated their profile
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है और गुणीजनो के सुझाव से यह निखर गयी है। हार्दिक…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई विकास जी बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है।गुणीजनो के सुझाव से यह और निखर गयी है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। मार्गदर्शन के लिए आभार।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय महेन्द्र कुमार जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। समाँ वास्तव में काफिया में उचित नही…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, हार्दिक धन्यवाद।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई तिलक राज जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, स्नेह और विस्तृत टिप्पणी से मार्गदर्शन के लिए…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service