For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

शादी की ज्यामितीय परिभाषा

दो सरल रेखाएं

जब एक बिंदु पर आकर मिलती हैं

एक ऋजु कोण का निर्माण करती हैं

ऋजु कोण से अधिक कोण

क्रमश:

घटती दूरी

और

फिर न्यून कोण

न्यूनतम करती हुई   

दोनों रेखाएं एक दूसरे से मिल जाती है

तब उनके बीच बनता है- शून्य कोण

समय की चोट खाकर

दोनों रेखाएं

अलग होती हुई

सामानांतर बनती है

और

अनन्त पर जाकर मिलती हैं

या फिर विपरीत दिशाओं में

और दूर

और दूर

होती चली जाती है

क्या यह सच नहीं है ?

(मौलिक व अप्रकाशित)

-जवाहर लाल सिंह 

Views: 666

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on July 20, 2015 at 7:47pm

आदरणीया कांता रॉय जी, सादर अभिवादन ! आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार। ।योन ही मैं एक दिन बैठे बैठे सोच रहा था। और यह भी जानना चाह रहा था कि लोगों की क्या राय बनती है इसपर ! बस और कुछ नहीं। सादर!

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on July 20, 2015 at 7:43pm

आदरणीय समर कबीर साहब, सादर अभिवादन! उत्साह वर्धन के लिए हार्दिक आभार!

Comment by kanta roy on July 20, 2015 at 5:27pm
शीर्षक पर नजर पडते ही कि शादी की ज्यामितीय परिभाषा मन में रचना को पढने की उत्कंठा जाग उठी । दो सरल रेखाओं का एकाकार हो शुन्य को पहुँच जाना और फिर शुन्यतासे दो अलग अलग विपरीत दिशाओं में ....... वाह !!!!बधाई इस सटीक चित्रण के लिये आदरणीय जवाहर लाल जी ।
Comment by Samar kabeer on July 20, 2015 at 2:46pm
जनाब जवाहर लाल सिंह जी,आदाब,सुन्दर प्रस्तुति हेतु बधाई स्वीकार करें ।
Comment by JAWAHAR LAL SINGH on July 19, 2015 at 9:28am

हार्दिक आभार आदरणीय अग्रज तुल्य कुशवाहा जी! बस ऐसे ही मन में ख्याल आया ...कुछ प्रतिशत तो सच्चाई होगी कहीं न कहीं ....

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on July 19, 2015 at 9:26am

सराहना के लिए हार्दिक आभार अमन कुमार जी!

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on July 18, 2015 at 11:36pm

वाह अनुज श्री आदरणीय सिंह साहब जी 

अब ये भी , सादर बधाई 

Comment by aman kumar on July 18, 2015 at 1:04pm

बहुत सुंदर भाई साहब !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
8 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सराहना और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी"
8 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लघुकथा पर आपकी उपस्थित और गहराई से  समीक्षा के लिए हार्दिक आभार आदरणीय मिथिलेश जी"
9 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आपका हार्दिक आभार आदरणीया प्रतिभा जी। "
10 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लेकिन उस खामोशी से उसकी पुरानी पहचान थी। एक व्याकुल ख़ामोशी सीढ़ियों से उतर गई।// आहत होने के आदी…"
13 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"प्रदत्त विषय को सार्थक और सटीक ढंग से शाब्दिक करती लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय…"
14 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदाब। प्रदत्त विषय पर सटीक, गागर में सागर और एक लम्बे कालखंड को बख़ूबी समेटती…"
15 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर साहिब रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर प्रतिक्रिया और…"
15 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"तहेदिल बहुत-बहुत शुक्रिया जनाब मनन कुमार सिंह साहिब स्नेहिल समीक्षात्मक टिप्पणी और हौसला अफ़ज़ाई…"
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी प्रदत्त विषय पर बहुत सार्थक और मार्मिक लघुकथा लिखी है आपने। इसमें एक स्त्री के…"
18 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान ______ 'नवेली की मेंहदी की ख़ुशबू सारे घर में फैली है।मेहमानों से भरे घर में पति चोर…"
19 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान की परिभाषा कर्म - केंद्रित हो, वही उचित है। आदरणीय उस्मानी जी, बेहतर लघुकथा के लिए बधाइयाँ…"
20 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service