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                                 ग़ज़ल

हर  पल  दिल  ने  तुझे  पुकारा  है यूँ अय हमराज़ मेरे |
भींग   गए   हैं   रोते-रोते   आंसू   से   हर   साज़   मेरे ||


जी  करता  है -   इन  रश्मों  की  दीवारों  से  लड़ जाऊं,
पागलपन   से   भी   दीवाने   लगते   हैं   अंदाज़   मेरे ||


लहरा  कर  आना  तेरा   वो  और  गले  से  लग जाना,
इन्तिज़ार  बस  उन्हीं  लम्हों  का  करते  हैं  राज मेरे ||


हर  ज़र्रे  में  तुझे  खोजता  फिरता  है  ये  पागल मन,
मेरा  ही  दिल  नहीं  रहा  है  बस  में शायद आज मेरे ||


तेरी  जुदाई  से  बढ़ कर  के  दर्द   न   मैंने   देखा  था,
यूँ  लगता  है  जैसे  सर  पर,  टूट  पड़ी  है  गाज  मेरे ||


बिखर  रहा  हूँ,  टूट-टूट  कर,  पल-पल  तेरी यादों में,
आ के सजा दे फिर से मेरी दुनिया, दिल के ताज मेरे ||


                                   रचनाकार- अभय दीपराज

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Comment by Abhinav Arun on March 10, 2011 at 9:58am
अभय जी बढियां लिख रहें हैं आप शुभकामनायें |

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