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धनपशु का पुरस्कार

देश में अलग-अलग विधाओं व उपलब्धियों पर पुरस्कार दिए जाने की परिपाटी है। इन पुरस्कारों के लिए चुनिंदा नाम पर मुहर लगती है, मगर भ्रष्टाचार के दानव के मुखर होने के बाद इन दिनों मैं सोच रहा हूं कि देश में एक और पुरस्कार दिए जाने की जरूरत है और वो है, धनपशु पुरस्कार। देश में एक-एक कर भ्रष्टाचार की हांडी फूट रही है और टू-जी स्पेक्ट्रम घोटाला, कामनवेल्थ घोटाला, आदर्श सोसायटी घोटाला तथा इसरो घोटाला के भ्रष्टाचार लोक से धनपशुओं का पदार्पण हो रहा है। भ्रष्टाचार कर देश को खोखला करने वाले ऐसे धनपशुओं को निश्चित ही पुरस्कार मिलना चाहिए, क्योंकि ऐसी करतूत, भला कोई आम जनता करने की हिम्मत जुटा सकती है ?


अब धनपशुओं की वेरायटी तैयार होने लगी है, क्योंकि देश की अन्य पुरस्कार की तरह यहां चुनिंदा हुनरमंद की कमी नहीं है। धनपशुओं के सम्मान किसे दें, इस पर भी अब बहस शुरू हो सकती है। देश को जिसने ज्यादा लूटा, वही इस धनपशु पुरस्कार वाजिब हकदार हो सकता है। ऐसे में यहां भी किसी एक नाम पर सहमति बनना मुश्किल है, क्योंकि देश में एक से बढ़कर एक, घोटालेबाज व भ्रष्टाचारी हैं और इस भ्रष्टाचारी लोक से ऐसे-ऐसे धनपशु बाहर आ रहे हैं, जिनकी तिजोरियों में नोट, इस तरह भरे पड़े मिल रहे हैं, जैसे कोई रद्दी कागज को कहीं भी फेंक देता है। ऐसी कई परिस्थिति बन रही है, जिससे यह पहचान करना टेढ़ी खीर साबित हो रही है कि देश में आखिर सबसे बड़ा धनपशु कौन है ? धनपशु पुरस्कार के लिए कड़ी प्रतिस्पर्धा मच गई है।


मैं भी कई दिनों से सिर खपा रहा हूं कि जब धनपशु पुरस्कार दिया जाना शुरू किया जाएगा तो इस पुरस्कार का पहला हकदार कौन होगा ? मैंने विचार किया, क्यों न, मधु कोड़ा का नाम तय किया जाए, इसके बाद मुझे ख्याल आया कि देश में और भी नाम हैं, जैसे- ए. राजा, सुरेश कलमाड़ी। इन नामों पर मैं विचार कर ही रहा था कि इसरो घोटाले की धमक शुरू हो गई और एक बड़ा धनपशु का काला चेहरा सामने आ गया। देश के भ्रष्टाचार लोक में धनपशुओं का जैसा जमावड़ा शुरू हो गया है और एक नाम को देश की जनता ठीक से समझ पाती है, वैसे ही एक और बड़ा नाम धनपशु बनकर उभरता है। यही कारण है कि मैं लगातार सोच रहा हूं और यह तय करने कोशिश कर रहा हंू कि आखिर कौन हो सकता है, धनपशु पुरस्कार का वाजिब हकदार। आज हालात ऐसे दिखाई दे रहे हैं, जैसे इस पुरस्कार के चर्चा शुरू होने के बाद धनपशुओं में होड़ मच गई है। लगता है कि अभी धनपशु पुरस्कार के लिए और समय-सीमा बढ़ानी पड़ सकती है, क्योंकि कई नाम कतार में खड़े नजर आ रहे हैं। अब आप ही बताएं कि किसे दें, धनपशु पुरस्कार ?


राजकुमार साहू
लेखक व्यंग्य लिखते हैं


जांजगीर, छत्तीसगढ़
मोबा - 098934-94714

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Comment

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Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on March 9, 2011 at 9:15am
बहुत खूब राजकुमार साहू जी, धनपशुओं पर बहुत ही तीखा कटाक्ष किया है आपने | बधाई इस सुंदर व्यंग लेख पर |

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